रूस और यूक्रेन के जंग का असर सभी देशों पर पड़ा रहा है। अमेरिका और यूके की ग्लोबल फाइनेंशियल मार्किट पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। जब इस युद्ध से बड़े देश प्रभावित हो रहे है, तो ऐसे में भला पाकिस्तान कैसे अछूता रह सकता है?, विशेषज्ञों की मानें तो रूस-यूक्रेन तनाव के कारण पाकिस्तान आर्थिक मार झेलेगा। पाकिस्तान बिजनेस काउंसिल (पीबीसी) के सीईओ एहसान माली ने कहा- 'हमने देखा कि ब्रेंट क्रूड ऑयल 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गया है। पेट्रोकेमिकल्स की कीमतें वैश्विक तेल की कीमतों से सीधे जुड़ी हुई हैं, इसलिए उनके भी चढ़ने की उम्मीद है।'
एहसान माली ने आगे कहा कि रूस ऊर्जा आपूर्ति पर नवीनतम वित्तीय प्रतिबंध वैश्विक तेल की कीमतों पर और अधिक दबाव डालते हुए, ईंधन के स्रोत को जबरदस्ती बदल देगा और पाकिस्तान सरकार के पास सहने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा। ऐसे में स्थानीय ईंधन की कीमतों में वृद्धि की उम्मीद है। आपको बता दें कि रूस और यूक्रेन ने संयुक्त रूप से पिछले साल पाकिस्तान की कम से कम 70 प्रतिशत गेहूं की आपूर्ति की, लेकिन अब जंग के वजह से गेहूं के आयात की लागत बढ़ सकती है।
एहसान माली ने कहा कि रूस और यूक्रेन दोनों ही पाकिस्तान के लिए प्रमुख निर्यात बाजार थे, मास्को से यूक्रेन के साथ संघर्ष समाप्त होने तक पाकिस्तान स्ट्रीम गैस पाइपलाइन परियोजना में निवेश को रोकने की उम्मीद है। आपको बता दें कि यूक्रेन पर आक्रमण से कुछ घंटे पहले प्रधानमंत्री इमरान खान की रूस यात्रा भी कई देशों द्वारा एक अवांछित कारण बन सकती है। इसे एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) के साथ भी जोड़ा जा सकता है, जो पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट में रखने पर जोर दे रहा है और निश्चित रूप से आने वाले दिनों में देश के लिए गंभीर परिणाम देगा।
(इनपुट एजेंसी)