संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी है कि विश्व निकाय अपने '1945 पल' का सामना कर रहा है। उन्होंने साथ ही कहा कि 'उस पल की ही तरह एक बार फिर से सभी देशों को एकजुट होने की जरूरत है।' समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बुधवार को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुटेरस के हवाले से बताया, "इस 75वीं वर्षगांठ साल के अवसर पर हम अपने खुद के 1945 पल का सामना कर रहे हैं। ये हमारे लिए एक चुनौती है।"
उन्होंने आगे कहा, "हमें आज की आपात स्थिति से उबरने के लिए दुनिया को आगे बढ़ाने और काम करने और फिर से समृद्ध बनने के लिए एकता दिखानी चाहिए, और निकाय की ²ष्टि को बनाए रखना चाहिए।"
<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr">Next week at <a href="https://twitter.com/hashtag/UNGA?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw">#UNGA</a>, I will appeal to the international community to mobilize all efforts for a global ceasefire.<br><br>Amid the <a href="https://twitter.com/hashtag/COVID19?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw">#COVID19</a> pandemic, we must make a new collective push for peace. <a href="https://t.co/erJKZEJMrx">https://t.co/erJKZEJMrx</a> <a href="https://t.co/j9DQDunssF">pic.twitter.com/j9DQDunssF</a></p>— António Guterres (@antonioguterres) <a href="https://twitter.com/antonioguterres/status/1306350502209376258?ref_src=twsrc%5Etfw">September 16, 2020</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भविष्य में युद्धों को रोकने के उद्देश्य से और अप्रभावी राष्ट्रसंघ को सफल बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की गई थी।
साल 1945 में 25 अप्रैल को 50 सरकारी प्रतिनिधियों ने एक सम्मेलन के लिए सैन फ्रांसिस्को में मुलाकात की और संयुक्त राष्ट्र निकाय का मसौदा तैयार करना शुरू किया गया। इसे 25 जून 1945 को लागू किया गया और उसी साल 24 अक्टूबर को प्रभावी हुआ।
निकाय के उद्देश्यों में अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना, मानवाधिकारों की रक्षा करना, मानवीय सहायता पहुंचाना, सतत विकास को बढ़ावा देना और अंतर्राष्ट्रीय कानून को बनाए रखना शामिल है।
इसकी स्थापना के समय से ही संयुक्त राष्ट्र के 51 सदस्य राष्ट्र थे।
निकाय में अब सदस्यता की संख्या 193 है, यह दुनिया के लगभग सभी संप्रभु राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है।
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