अमेरिका (US) ने एक बेहद असाधारण घटनाक्रम के तहत वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की आक्रामकता की निंदा की है और इसी के साथ भारत को सपोर्ट किया है। गुरुवार को अमेरिकी सीनेट की तरफ से एक प्रस्ताव लाया गया है। इस प्रस्ताव में अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न अंग करार दिया गया है। इस प्रस्ताव में भारत की, ‘संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता’ का समर्थन किया गया है। जबकि चीन की निंदा भी की गई है। यह पहला मौका है जब सीनेट की तरफ से इस तरह का कोई प्रस्ताव लाकर भारत का साथ देने का वादा किया गया है। अमेरिकी सीनेट के प्रस्ताव में एलएसी की यथास्थिति बदलने के लिए ‘सैन्य बल’ के प्रयोग की निंदा की गई है। साथ ही दूसरे भड़काऊ कदमों के लिए भी चीन का विरोध किया गया है।
अमेरिकी सीनेट में यह प्रस्ताव जेफ मार्केले और बिल हैगेर्टी की तरफ से पेश किया गया है। साथ ही इसे जॉन कॉर्नेन का भी समर्थन मिला है। सीनेट में जो प्रस्ताव लाया गया है उसमें भारत की तरफ से अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के विकास कार्यों और रक्षा आधुनिकीकरण का भी स्वागत किया गया है। सीनेट की तरफ से लाए गए प्रस्तावों की मानें तो भारत बॉर्डर पर इनफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर कर रहा है और वह अमेरिकी सहायता को और बढ़ाने के लिए भी प्रतिबद्ध है।
कौन हैं प्रस्ताव लाने वाले सीनेटर
इस प्रस्ताव को लाने वाले मार्केले को एक खुली सोच वाला डेमोक्रेटिक सीनेटर माना जाता है। वह ओरेगन से सीनेटर हैं। वह चीन पर बनी अमेरिकी कांग्रेस की एग्जिक्यूटिव कमीशन के भी उपाध्यक्ष भी हैं। वहीं हैगेर्टी जापान में पूर्व अमेरिकी राजदूत रहे हैं। दोनों ही सीनेट की विदेश समिति के सक्रिय सदस्य हैं। दूसरी तरफ कॉर्नेएन सीनेट इंडिया कॉकस के को-फाउंडर और उपाध्यक्ष हैं। वह सीनेट के पूर्व बहुमत व्हिप भी रह चुके हैं। फिलहाल वह इंटेलीजेंस पर बनीं सीनेट की सेलेक्ट कमेटी के सदस्य हैं।
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क्यों है असाधरण घटनाक्रम
इस प्रस्ताव को वह पहला असाधारण कदम करार दिया जा रहा है। इसे सीनेट की विदेश समिति के पास भेज दिया गया है। अगर यह कमेटी के जरिए भेजा जाता है तो फिर यह या तो एक अकेले प्रस्ताव के तौर पर अमेरिकी कांग्रेस में जाएगा या फिर एक बड़े बिल का हिस्सा होगा। इस प्रस्ताव का प्रस्तुत होना कई वजहों से एक शक्तिशाली प्रदर्शन करार दिया जा रहा है। इस प्रस्ताव का सीनेट में आना यह बताता है कि अमेरिका, अरुणाचल प्रदेश को भारतीय राज्य के तौर पर मान्यता दे चुका है। साल 2020 में जब गलवान हिंसा हुई थी तो उस समय भी एक विस्तृत प्रस्ताव लाया गया था। तब भी अमेरिका ने एलएसी पर चीन की आक्रामकता का विरोध किया था।