Hindi News

indianarrative

ड्रैगन भड़का रहा आग? अमेरिका की चीन को सीधी धमकी, रूस की मदद की तो चुकानी होगी कीमत

दुनिया के कुछ ही ऐसे देश होंगे जो चीन (China) से परेशान न हो। सिर्फ वही देश जिनकी चीन के साथ अच्छी बनती है। जिसमें दो-तीन देश ही शामिल हैं। चीन वो देश है जो अपने दोस्तों तक को नहीं छोड़ता। चीन से सीमा साझा करने वाले देश तो परेशान हैं ही साथ ही वो भी जो इससे सीमा साझा नहीं करते। अमेरिका और चीन की दुश्मनी काफी पुरानी है। अमेरिका और जापान ने मिलकर जब चीन की दुखती रग पर हाथ रखा तो दर्द से ड्रैगन कराह उठा। दरअसल चीन अब रूस को मदद देकर यूक्रेन में और तबाही करवाना चाह रहा है। इस पर अब अमेरिका भड़क उठा है और उसने यूक्रेन का समर्थन करते हुए चीन को धमकी दी है। माना जा रहा है कि चीन रूस को यूक्रेन से युद्ध के लिए घातक हथियार प्रदान करने वाला है, इसी पर अमेरिका ने कहा है कि यदि चीन ऐसा करता है तो इसके परिणाम गंभीर होंगे।

बीजिंग संभावित रूप से रूस को ड्रोन सहित घातक उपकरण प्रदान करने पर विचार कर रहा है। विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष माइकल मैककॉल ने कहा कि चीनी नेता शी जिनपिंग रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Putin) के साथ बैठक के लिए अगले सप्ताह मास्को जाने की तैयारी कर रहे हैं। व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने सीएनएन को बताया कि चीन को अपने फैसले खुद लेने होंगे, अगर वह रूस को सैन्य सहायता देने का निर्णय लेता है तो उसे कीमत चुकानी पड़ेगी।

ये भी पढ़े: रूस की मदद करने की ड्रैगन को मिलेगी सजा, America ने कहा China को पूरी तरह कर देंगे…

वहीं यूक्रेन को इस युद्ध में पश्चिमी देशों से सहायता मिल रही है। इस पर रूस के पूर्व राष्ट्रपति और पुतिन के सहयोगी दिमित्री मेदवेदेव ने कहा कि कीव को पश्चिमी हथियारों की आपूर्ति से वैश्विक परमाणु तबाही का खतरा है। नाटो और पश्चिमी देश इस नेरेटिव को खारिज कर चुके हैं। वह कहते हैं कि कीव को हथियार और अन्य सहायता प्रदान करने का एकमात्र उद्देश्य उन्हें हमले से बचाने का है। पुतिन ने रविवार को जारी एक साक्षात्कार में रोसिया 1 राज्य टेलीविजन को बताया कि पश्चिमी देश पूर्व सोवियत संघ और उसके मूलभूत भाग को बिखेरना चाहते हैं।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर आक्रमण कर इसे विशेष सैन्य अभियान बताया था। उन्होंने कहा था कि इसका उद्देश्य रूसियों की रक्षा करना, कीव की नाटो सदस्यता को रोकना और इसे रूस के प्रभाव क्षेत्र में रखना है। यूक्रेन और पश्चिम का कहना है कि यह एक लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार और एक यहूदी राष्ट्रपति के साथ एक देश के खिलाफ आक्रामकता का एक अवैध कार्य है।