'कोरोना के खिलफ भारत की मदद के लिए ग्लोबल टास्क फोर्स बन चुकी है। अमेरिका के 40 सीईओस आगे आ चुके हैं। रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी ने मदद भेजनी शुरू कर दी है। इसको देख कर चीन जलभुन गया है। चीन ने झल्लाकर शिचुआन से मेडिकल सप्लाई लेकर आ रही सभी फ्लाइट्स पर बैन लगा दिया है। चीन के इस कदम से उसका असली चेहरा एक बार फिर सामने आगया है। हालांकि भारत को चीन के इस कदम से अब कोई नुकसान नहीं होगा।'
Vaccine Maitri: संकट के समय भारत दुनिया भर के देशों के साथ हमेशा सबसे पहले खड़ा नजर आता है। इसी का नतीजा है कि दुनियाभर ने भारत की ऑक्सीजन समस्या के हल के लिए युद्ध स्तर पर सहयोग शुरू हो चुका है। रूस रेमडेसिविर इंजेक्शन भेज रहा है तो अमेरिका ने वैक्सीन बनाने वाले कच्चे सामान के साथ ऑक्सीजन कंसनट्रेटर भेजने शुरु कर दिए हैं। भारत की मदद के लिए रूस-चीन के एक साथ आने से चीन बौखला गया है। चीन ने इसी जलन में शिचुआन से मेडिकल सप्लाई करने वाली हवाई सेवाओं पर रोक लगा दी है। चीन की इस रोक के बावजूद भारत की तैयारियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्यों कि अब फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन जैसे देश भी भारत की मदद के लिए आगे आ चुके हैं।
अमेरिका (America) की शीर्ष 40कंपनियों के मुख्य कार्यकारी (सीईओ)ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत की मदद करने के लिए एक वैश्विक कार्यबल का गठन किया है। इसके लिए इन सभी कंपनियों के CEO एकजुट हुए हैं। भारत में कोरोना से हालात बेहद ही चिंताजनक हो गए हैं। मरीजों को अस्पतालों में बेड्स और ऑक्सीजन की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस समेत दुनिया के कई मुल्क भारत को मदद पहुंचाने के लिए तैयार हुए हैं।
डेलोइट (Deloitte) के CEO पुनीत रंजन (Puneet Renjen) ने कहा कि यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स की यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल और यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक एंड पार्टनरशिप फोरम एंड बिजनेस राउंडटेबल की सामूहिक पहल कार्य बल ने सोमवार को वॉशिंगटन में बैठक की। इस बैठक में अगले कुछ हफ्तों में भारत में 20,000ऑक्सीजन मशीनें भेजने की प्रतिबद्धता जताई गई है। कोरोना महामारी पर यह वैश्विक कार्यबल भारत को अहम चिकित्सा सामान, वैक्सीन, ऑक्सीजन और अन्य जीवनरक्षक सहायता मुहैया कराएगा।
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किसी देश में जन स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए बने अपनी तरह के पहले वैश्विक कार्य बल को अमेरिका के विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन (Tony Blinken) ने संबोधित किया। ब्लिंकन ने ट्वीट किया कि यह बातचीत दिखाती है कि कैसे भारत के कोविड-19संकट के समाधान के लिए अमेरिका और भारत अपनी विशेषज्ञता और क्षमताओं का लाभ उठा सकता है। इससे पहले, अमेरिका के रक्षा मंत्री ऑस्टीन लॉयड ने रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन को भारत में कोरोनावायरस के खिलाफ जंग लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों को हर संभव जरूरी मदद मुहैया कराने का निर्देश दिया।
CEO पुनीत रंजन ने एक सवाल के जवाब में कहा, वीकेंड में अमेरिका की कई कंपनियां एक साथ आई। हम हरसंभव मदद पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहली लहर से सफलतापूर्वक निपटने के बाद हम बहुत आश्वस्त हैं, हमारा मनोबल ऊंचा है लेकिन इस लहर ने देश को हिला दिया है। अब हमारी जिम्मेदारी किसी भी तरीके से इससे निपटने की है। उन्होंने कहा कि सबसे जरूरी ऑक्सीजन और उसके कंसंट्रेटर्स हैं। अगले कुछ हफ्तों में भारत में 20,000ऑक्सीजन कंसनट्रेटर्स भेजे जाएंगे।
डेलोइट CEO ने कहा कि पहली 1,000 मशीनें इस हफ्ते तक पहुंच जाएंगी और पांच मई तक अन्य 11,000 मशीनों के पहुंचने की संभावना है। उन्होंने कहा कि दूसरा मुद्दा 10 लीटर और 45 लीटर की क्षमता से ऑक्सीजन सिलेंडर भेजने का है। रंजन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच बातचीत और भारत को तत्काल चिकित्सा आपूर्ति करने के अमेरिका के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि दोनों देश स्वाभाविक सहयोगी हैं। उन्होंने बताया कि डेलोइट के भारत में करीब 2,000 कर्मचारी कोरोनावायरस से संक्रमित हैं।