तालिबान ने अफगानिस्तान में सरकार बनने की कवायद तेज कर दी है। 20साल के बाद तालिबान का नेता मुल्ला ब्रादर कांधार पहुंचा। कहा जा रहा कि यहां वो तालिबान के नेताओं के साथ बैठक करेगा। आपको मामूम हो कि मुल्ला बरादर ने ही अपने बहनोई मुल्ला उमर के साथ मिलकर तालिबान की स्थापना की थी।
बताया जा रहा है कि मुल्ला बरादर कमांडो सुरक्षा घेरे में कतर के सी-17महाबली विमान से कंधार पहुंचा है जिसे अमेरिका ने बनाया है। हवाई अड्डे पर बरादर का तालिबान आतंकियों ने जोरदार स्वागत किया। इसके बाद मुल्ला बरादर का विशाल काफिला शहर से होते हुए रवाना हुआ। तालिबान आतंकियों ने मुल्ला बरादार के काफिले के सुरक्षित गुजरने के लिए रास्ते को बंद कर दिया था।
#BREAKING: #Taliban released a video showing moment of arrival of its leader Mullah Baradar at #Kandahar. He arrived on-board A7-MAP, a C-17A of #Qatar Air Force. His arrival onboard the airplane is symbolic because #Qatar is behind all the chaos taking place in #Afghanistan now. pic.twitter.com/yzXJp08Pii
— Babak Taghvaee – Μπάπακ Τακβαίε – بابک تقوایی (@BabakTaghvaee) August 17, 2021
मुल्ला बरादर के काफिले का वीडियो सोशल मीडिया में शेयर किया जा रहा है। इसमें नजर आ रहा है कि दर्जनों गाड़ियां कंधार हवाई अड्डे से शहर की ओर जा रही हैं। इस दौरान हूटर बज रहे हैं और कई लोग रास्ते मे खड़े होकर मुल्ला बरादर के कंधार में दाखिले को देख रहे हैं। कंधार वही शहर है जिसे तालिबान आंदोलन के जन्मस्थान के रूप में देखा जाता है। माना जा रहा है कि इसी वजह मुल्ला बरादर काबुल न जाकर सबसे पहले कंधार शहर पहुंचा है।
Mullah Baradar arrived in Kandahar pic.twitter.com/3na7CBvaIv
— Saad Mohseni (@saadmohseni) August 17, 2021
8साल पाकिस्तान में कैद रहा
तालिबान का सह-संस्थापक और मुल्ला उमर के सबसे भरोसेमंद कमांडरों में से एक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को 2010 में पाकिस्तान के कराची में गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन, डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश और तालिबान के साथ डील होने के बाद पाकिस्तान ने इसे 2018 में रिहा कर दिया था। बरादर ने 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ अफगान मुजाहिदीन में लड़ाई लड़ी। 1992 में रूसियों को खदेड़ने के बाद अफगानिस्तान प्रतिद्वंद्वी सरदारों के बीच गृहयुद्ध में घिर गया। जिसके बाद बरादर ने अपने पूर्व कमांडर और बहनोई, मुल्ला उमर के साथ कंधार में एक मदरसा स्थापित किया।