चीन को बड़ा झटका लगा है। डब्ल्यूएचओ ने चीन की वैक्सीन को भी नकार दिया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि भारत की कोरोना वैक्सीन ही सबसे सुरक्षित है। डब्ल्यूएचओ के इस ऐलान से दुनिया में भारत का डंका बज गया है। तमाम शंका-आशंकाओं को निर्मूल साजिशों को नेस्तनाबूद करके भारत की कोरोना वैक्सीन अब दुनिया भर में इस्तेमाल की जाएगी। भारत के सीरम इंस्टीट्यूट में बनी कोरोना वैक्सीन पर वैक्सीन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी (डब्ल्यूएचओ) ने मुहर लगा दी है। केवल भारत की इस वैक्सीन के इस्तेमाल को दुनिया भर में मंजूरी देते हुए (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि इस वैक्सीन के दुष्परिणाम शून्य हैं और यह सभी उम्र के मरीजों पर एक समान प्रभावकारी है।
(डब्ल्यूएचओ) के अध्यक्ष टेड्रोस एडहानॉम ने कहा कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका की वैक्सीन के दो संस्करणों को आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई है ताकि दुनिया भर में कोवैक्स के तहत टीकाकरण (Corona Vaccination) को आगे बढ़ाया जा सके। डब्ल्यूएचओ ने वैक्सीन के उत्पादन में तेजी लाए जाने की भी बात कही है।
वैक्सीन को मंजूरी देने से ठीक एक दिन पहले यूएन की स्वास्थ्य एजेंसी के एक पैनल ने वैक्सीन को लेकर अंतरिम सिफारिश दी थी। इसमें कहा गया था कि सभी वयस्कों को 8-12हफ्तों के अंतराल पर वैक्सीन के दो डोज दिए जाने चाहिए। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन फाइजर जैसी अन्य वैक्सीन के मुकाबले में सस्ता और इस्तेमाल में आसान है। फाइजर को डब्ल्यूएचओ ने बीते साल दिसंबर में आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी थी। WHO ने सोमवार को कहा कि ऑक्सफोर्ड एस्ट्रेजेनेका की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दिए जाने के बाद कोवैक्स प्रोग्राम के तहत दुनिया के कई देशों को वैक्सीन दिए जाने का काम तेज हो जाएगा।
(डब्ल्यूएचओ) ने बताया कि दुनिया के जिन देशों में अभी तक वैक्सीन नहीं मिल पाई थी, वहां पर अब कोरोना के टीकाकरण की शुरुआत की जा सकेगी। WHO कोवैक्स के तहत दुनिया के गरीब देशों में कोरोना वैक्सीन पहुंचाने की कोशिश करती है। इसी कड़ी में सोमवार को वैश्विक संगठन ने दो कोरोना वैक्सीन को आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी है। इनमें एक भारत के सीरम इंस्टिट्यूट की वैक्सीन है, जबकि दूसरी वैक्सीन दक्षिण कोरिया की कंपनी बनाती है।