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भारत से क्यों डर रहा है China? आर्थिक तरक्‍की और मजबूत सेना से घबराने लगा है ड्रैगन? जाने क्या बोले विशेषज्ञ

China scared of India: दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में होने वाला सालाना शिखर सम्मेलन ब्रिक्स का 15वां समिट होगा. भारत की ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें हिस्सा लेंगे। इसके पीएम मोदी 22 से 24 अगस्त के बीच जोहान्सबर्ग की यात्रा पर हैं। ऐसे तो ब्रिक्स का हर सालाना शिखर सम्मेलन इसके सदस्यों के लिए कूटनीतिक तौर से महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इस बार का समिट कई वजहों से बेहद ख़ास है। उसमें भी भारतीय हितों के नजरिए से सोचें, तो भारत के लिए जोहान्सबर्ग समिट का मायने बढ़ जाता है।

ब्रिक्स सम्‍मेलन में सबकी नजरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ( China scared of India) के बीच होने वाली मुलाकात पर टिकी होंगी। दशकों से, चीन ने भारत को एक ऐसे देश के तौर पर देखा है जो भू-राजनीति में तेजी से उभर रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो चीन भारत को एक ऐसे देश के तौर पर देखता है जिसे कभी-कभार सैन्य और कूटनीतिक सबक के जरिए दबाकर रखा जा सके। ब्रिक्‍स में पीएम मोदी और जिनपिंग मिलेंगे या नहीं, यह तो आने वाले कुछ दिनों में पता चल जाएगा।

पीएम मोदी और जिनपिंग की मीटिंग!

विदेश नीति के जानकरों की मानें तो चीन को यह बात समझनी होगी कि भारत एक उभरती हुआ शक्ति है। वहीं उसके उदय और तरक्‍की पर फिलहाल ब्रेक लग गया है। ब्रिक्‍स के बाद जी-20 एक बड़ा सम्‍मेलन है जिसकी मेजबानी इस बार भारत कर रहा है। राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग जब जी-20 सम्‍मेलन के लिए आएंगे तो भी उनकी मुलाकात पीएम मोदी से होगी। जानकारों की मानें तो दोनों नेताओं के बीच होने वाली बैठकें, व्यावहारिक और कूटनीतिक शिष्टाचार से रहित होंगी क्योंकि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर टकराव जारी है। जब शी, नौ सितंबर, 2023 को जी20 के प्रमुखों के शिखर सम्मेलन के लिए नई दिल्ली में पहुंचेंगे, तो उनका सामना एक नई वास्‍तवकिता से होगा।

चीन के चार सुनहरे दशक, जब जीडीपी विकास साल में अक्सर 10 फीसदी से ज्‍यादा हो जाती थी, अब खत्म

चीन ( China scared of India) के आर्थिक विकास पर ब्रेक लग गया जोकि अस्थायी नहीं है। चीन के चार सुनहरे दशक, जब जीडीपी विकास साल में अक्सर 10 फीसदी से ज्‍यादा हो जाती थी, अब खत्म हो चुके हैं। लेकिन धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था ही जिनपिंग के लिए चिंता का अकेला विषय नहीं है। चीन को इसके साथ ही अमेरिकी से मिलती चुनौती को भी झेलना पड़ रहा है। जी20 शिखर सम्मेलन में, दुनिया के सात सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से छह शी के खिलाफ खड़े होंगी- अमेरिका, जापान, जर्मनी, भारत, ब्रिटेन और फ्रांस। रूस के राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शी के लिए मौजूद नहीं होंगे। जबकि बाकी जैसे सऊदी अरब के मोहम्मद बिन-सलमान और दक्षिण अफ्रीका के राष्‍ट्रपति सिरिल रामाफोसा अपनी मौजूदगी को मजबूत करने में लग जाएंगे।

भारत कमजोर नहीं

भारत ने कूटनीति के जरिए यह बात चीन को समझा दी है कि उसकी स्थिति कमजोर नहीं है। इसलिए जिनपिंग भारत पर दूसरे तरीकों से दबाव डालने की कोशिशों में हैं। जून 2020 में गलवान हिंसा चीन के लिए बड़ा झटका थी। एलएसी में भारत की मजबूती सैन्य तैयारियों ने चीन को चौंका दिया था। चीन को लगता था कि भारत जो तिब्बत और ताइवान पर हमेशा शांत रहता है, इस बार भी चुप रहेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार, साल 2022-23 में भारत की जीडीपी क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर 13,033 डॉलर थी, जबकि चीन की 33,014 डॉलर थी। अब यह अंतर ढाई गुना है। साफ है कि भारत की जीडीपी चीन की जीडीपी की औसत वार्षिक दर से दोगुना बढ़ रही है।