पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की हताशा और बौखलाहट लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले दिनों पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ द्वारा बनाए गए सख्त नियमों से जुड़े दो विधेयकों को पाकिस्तान के विपक्षी बहुमत वाले सीनेट ने ठुकरा दिया। इससे पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार द्वारा “मनी लांड्रिंग” मामले और आतंकियों के वित्त-पोषण के निगरानी समूह द्वारा “ब्लैक लिस्टेड” किए जाने से बचाव के लिए की जा रही कोशिशों पर पानी फिर गया है।
नाराज इमरान खान ने ट्वीट कर विपक्षी पार्टियों को जमकर कोसा। इमरान खान ने ट्वीट करके कहा, "सीनेट में विपक्ष ने एफएटीएफ से संबंधित 2 महत्वपूर्ण बिलों – एंटी मनी लॉन्ड्रिंग और आईसीटी वक्फ बिल को खारिज कर दिया। पहले दिन से मैंने यह कहा है कि विपक्षी नेताओं के अपने हित और देश के हित विपरीत हैं, क्योंकि जवाबदेही का शिकंजा कस गया है।"
जवाब में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सीनेटर शेरी रहमान ने भी ट्विट किया, "हमने तो उनके काले कानून का विरोध किया है..किस डेमोक्रेसी में बिना वारंट लोगों को गिरफ्तार करने का कानून है?"
इन विधेयकों में संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में निर्दिष्ट संस्थाओं और व्यक्तियों की संपत्ति पर रोक लगाना और जब्त करना शामिल है। यही नहीं बल्कि यूएन की सूची में बताए गए लोगों की यात्रा, उनके हथियार रखने पर रोक लगाना और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले लोगों के लिए भारी जुर्माना और लंबी अवधि की जेल के उपाय शामिल हैं। विधेयक के सीनेट में रूकने से पाकिस्तान की किरकिरी हो रही है ।
यही नहीं इसका दोष भी इमरान खान ने भारत पर डालने की कोशिश की। एक पाकिस्तानी टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "भारत पिछले दो वर्षों से पाकिस्तान पर एफएटीएफ का प्रतिबंध लगवाने की कोशिश में है। वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर पिछले दो सालों से इस कोशिश में है कि हमें ब्लैक-लिस्ट कर दिया जाए। यदि यह पाबंदी लग जाती है तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तबाह हो सकती है। हमारी की स्थिति ईरान जैसी हो सकती है जिससे कोई अतंर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान कारोबार नहीं करना चाहेगा।"
एफएटीएफ का खौफ किस तरह हावी है, इसका अंदाजा इमरान खान के इस बयान से साफ जाहिर होता है, "ब्लैकलिस्ट होने से हमारी करेंसी प्रभावित होगी, पाकिस्तानी रुपया गिरेगा और हमें नहीं पता कि किस हद तक गिरेगा। रुपये को बचाने के लिए हमारी पास विदेशी भंडार नहीं है। जब रुपया गिरता है, तो बिजली, गैस और तेल से लेकर सबकुछ महंगा हो जाएगा। एक बार हम ब्लैकलिस्ट हो गए तो हमारी पूरी अर्थव्यवस्था इंफ्लेशन के कारण बरबाद हो जाएगी।"
पाकिस्तान पिछले दो सालों से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है। उसे वित्तीय सौदों में पारदर्शिता लाने और आतंकवाद के वित्तपोषण पर कार्रवाई करने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए कई मौके मिल चुके हैं ।एफएटीएफ द्वारा कई बार तय सीमा बढ़ाई गई है, लेकिन पाकिस्तान हर बार नाकाम रहा है।
इस साल फरवरी में पाकिस्तान को एफएटीएफ ने अक्टूबर तक का समय दिया है। अगर पाकिस्तान एक बार फिर कुछ नहीं कर पाता है तो उसका नाम ग्रे लिस्ट से हटाकर ब्लैक लिस्ट में जा सकता है। कंगाली और कर्ज से बेहाल पाकिस्तान को दुनिया की कोई भी वित्तीय संस्था कर्ज नहीं दे पाएगी। प्रधानमंत्री इमरान खान ने इन बिलों को पास करवाने के लिए ज्वाईंट असेम्बली सेशन बुलवाया है।
दरअसल पाकिस्तान को तो अब तक ब्लैक लिस्ट में आ जाना चाहिए था लेकिन चीन हमेशा पाकिस्तान को “ग्रे लिस्ट” में डालकर बचाता रहा है। पिछले दो सालों से 39 सदस्यों वाली एफएटीएफ की अध्यक्षता चीन के पास थी और इन दो सालों में अध्यक्ष जियांग मिन लिय़ू ने पाकिस्तान की मदद करने की पूरी कोशिश की। लेकिन 30 जून को लियू का कार्यकाल खत्म होने के बाद 1 जुलाई को जर्मनी के डॉ. मार्कस प्लेयर नए अध्यक्ष बने। पाकिस्तान को पता था कि अब चीन मदद नहीं कर पाएगा।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद शाह कुरैशी ने अपने चीन के दौरे में इस मुद्दे पर बात की और चीन की सलाह पर इमरान खान की सरकार ने आनन-फानन में नेशनल असेंबिली में दो बिल पास करवाए। लेकिन पाकिस्तानी सीनेट ने, जहां विपक्ष मजबूत है, इसे खारिज कर दिया। इमरान खान अब बुरी तरह फंस चुके हैं और विपक्ष को देशद्रोही करार दे रहे हैं।
पाकिस्तान का आतंकवाद से पुराना रिश्ता है। पिछले दिनों अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि पाकिस्तान, अफगानी तालीबान और हक्कानी नेटवर्क को पूरी सहायता दे रहा है जो अफगानिस्तान में अस्थिरता फैला रहे है। इसके अलवा जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर जैसे आंतकी संगठनों को अपने यहां पाल-पोस रहा है और उनका इस्तेमाल वो कश्मीर में खून खराबे के लिए कर रहा है।
न्यूयॉर्क की संस्था कैस्टेलम एआई (Castellum.AI) ने अप्रैल 2020 में एक रिपोर्ट जारी की। उसके मुताबिक, आतंकी निगरानी सूची में जहां 2018 में 7600 नाम थे, वो अब घटकर 3800 के नीचे आ गये हैं। इनमें से कई आतंकवादी तो भारत की वांडेट लिस्ट में हैं।
कैस्टेलम एआई (Castellum.AI ) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 9 मार्च से 27 मार्च के बीच पाकिस्तान ने आतंकी निगरानी सूची से 1069 नाम हटाये। इसके बाद इन नामों को डी-नोटिफाइड लिस्ट में डाल दिया गया। डी-नोटिफाइड लिस्ट में नाम डालने का मतलब ये है कि पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर इन लोगों के नाम आतंकी निगरानी सूची से हटा दिये हैं।
27 मार्च के बाद से और 800 नाम टेररिस्ट वॉचलिस्ट से हटाकर डी-नोटिफाइड लिस्ट में डाल दिये गये। इस तरह पिछले 18 महीनों में पाकिस्तान ने बिना किसी नोटिफिकेशन या स्पष्टीकरण के आतंकी निगरानी सूची से 3800 नाम हटा दिये हैं। इसमें लश्कर-ए-तैयबा का आंतकी और मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड जकी- उर-रहमान लखवी शामिल है।
पाकिस्तान अपना दामन बचाने के लिये ऐसा कर रहा है। दरअसल, आतंकी निगरानी सूची में जितने नाम हैं उनके खिलाफ पाकिस्तान ने कोई कार्रवाई नहीं की है। आतंकवाद के प्रति पाकिस्तान के रुख को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं और भारत समय समय पर इस मामले उठाता रहा है।
एफएटीएफ से बचने के लिए अपनी तरफ से पाकिस्तान ने काफी चालाकी दिखाने की कोशिश की। 18 अगस्त को पाकिस्तान ने एक अधिसूचना जारी कर दाउद इब्राहिम, मसूद अजहर, हाफिज सईद समेत 88 आतंकवादियों के खिलाफ सुरक्षा परिषद के नियमानुसार कार्रवाई करने का ऐलान किया था। लेकिनदुनिया को पता है कि पाकिस्तान किस तरह की कार्रवाई करता है।
39 सदस्यों वाली एफएटीएफ में यूरोपियन कमीशन और गल्फ कॉपरेशन काउंसिल शामल हैं। ब्लैक लिस्ट होने से बचने के लिए पाकिस्तान के समर्थन में चीन के अलावा तीन वोट चाहिए। टर्की और मलेशिया से पाकिस्तान को बहुत आशा है। तीसरे वोट के लिए चीन कोशिश कर रहा है ।
इस बीच इमरान खान को एक और झटका जर्मनी ने दिया। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने अपनी पनडुब्बियों के लिए एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) मांगा था। जिसे देने से जर्मनी ने साफ इनकार कर दिया है। एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन की मदद से पनडुब्बियां हफ्तों पानी के नीचे रह सकती ।
जर्मनी ने पाकिस्तान को लेकर कड़ा रुख उसकी आतंकवाद को काबू में करने की नाकामी की वजह से अपनाया है। खासकर, 2017 में काबुल में जर्मनी के दूतावास पर हुए बम धमाके के दोषियों को सजा दिलाने में पाकिस्तान असफल रहा। करीब 150 लोगों की जान लेने वाले धमाके के पीछे हक्कानी नेटवर्क का हाथ था, जिसे पाकिस्तान में समर्थन मिला हुआ है।
इस बीच करोना, मंहगाई और लड़खड़ाती आर्थिक स्थिति से जूझ रहे इमरान खान की एक और मुश्किल खुद उनके कार्यालय से आई है। उनके सलाहकार और चीन-पाकिस्ताकन इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के चेयरमैन जनरल असीम सलीम बाजवा और उनके परिवार की बड़ी आर्थिक धांधली का खुलासा होने से पाकिस्तान में हंगामा मचा है।
पाकिस्तान की वेबसाइट फैक्ट फोकस के मुताबिक बाजवा और उनके परिवार का यह आर्थिक साम्राज्य 4 देशों में फैला हुआ है। फैक्ट फोकस वेबसाइट ने जब यह बड़ा खुलासा किया तो उनकी वेबसाइट पर ही रोक लगा दी गई। लेकिन खबर फैल चुकी थी।
<blockquote class="twitter-tweet">
<p dir="ltr" lang="en">99 companies
130 franchises
13 comm properties including 2 shoppling centers in US
Son Eusha purchased 2 houses in United States when Lieutenant General Asim Saleem Bajwa was commander Southern Command.</p>
Read my investigations for <a href="https://twitter.com/FactFocusFF?ref_src=twsrc%5Etfw">@FactFocusFF</a><a href="https://twitter.com/hashtag/FactFocus?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw">#FactFocus</a><a href="https://t.co/sic5c0p4f3">https://t.co/sic5c0p4f3</a>
— Ahmad Noorani (@Ahmad_Noorani) <a href="https://twitter.com/Ahmad_Noorani/status/1299049388413775874?ref_src=twsrc%5Etfw">August 27, 2020</a></blockquote>
<script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>
रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे सेना में जनरल असीम बाजवा का कद बढ़ता गया, उनके परिवार का बिजनेस साम्राज्य भी बढ़ता गया। बाजवा के परिवार ने उनके सेना में रहने के दौरान और उसके बाद अब तक 99 कंपनियां और 133 रेस्टोरेंट बना लिए हैं। जिसमें उनकी पत्नी, बेटे और परिवार के दूसरे लोग शामिल हैं। असीम बाजवा के बेटे ने वर्ष 2015 में इस कंपनी को ज्वाईन किया और अपने पिता के पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता रहने के दौरान देश और अमेरिका के अंदर नई कंपनियां बनानी शुरू कर दीं।
अब ये कंपनियां अमेरिका के अलावा, यूएई और कनाडा में भी मौजूद हैं। हालांकि जनरल बाजवा ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी खुद जनरल बाजवा पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बता रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री इमरान खान पर जनरल असीम बाजवा को हटाने के लिए दबाव बना रहा है।
विपक्ष का कहना है कि इमरान को सिर्फ विपक्षी नेताओं का करप्शन दिखता है, अपनी सरकार के लोगों का नहीं। इस बीच फैक्ट फोकस वेबसाइट के रिपोर्टर अहमद नूरानी ने ट्वीट किया है कि "पिछले कुछ घंटो में मुझे और मेरे बच्चों को जान से मारने के 100 से भी अधिक मेसैज आए हैं। मुझे पता है यह धमकियां पाकिस्तान की एफआईए (फेडेरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के साईबर क्राईम सेल से आ रही हैं, जो बेगुनाहों के बजाय हमेशा अपराधियों की मदद करती हैं। लेकिन पाकिस्तान लौटकर मैं रिपोर्ट लिखवाने एफआईए जरूर जाऊंगा।"
<blockquote class="twitter-tweet">
<p dir="ltr" lang="en">During last few hours, i hav received more than 100 such mesgs informing that i wil b killed along with my children. I know about these accounts. Though FIA & its Cyber Crimes Wing always stood with criminals but upon my return to Pakistan after few days i wil move FIA once again <a href="https://t.co/PMuHLRKFmN">pic.twitter.com/PMuHLRKFmN</a></p>
— Ahmad Noorani (@Ahmad_Noorani) <a href="https://twitter.com/Ahmad_Noorani/status/1299957765104951297?ref_src=twsrc%5Etfw">August 30, 2020</a></blockquote>
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