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China को पड़ा श्रीलंका का ‘तमाचा‘! भारत पर जताया भरोसा, श्रीलंकाई राष्ट्रपति की ड्रैगन को दो टूक

चीन को नहीं देंगे मिलिट्री बेस

Ranil Wickremesinghe China: श्रीलंका ने पिछले एक साल में कई उतार चढ़ाव देखे हैं। देश की इकोनॉमी रसातल में चली गई। राष्ट्रपति अपदस्थ हो गए। जनता ने विद्रोह कर दिया, मगर धीरे-धीरे श्रीलंका अब संभलने लगा है। चीन जो कि श्रीलंका की कमजोर इकोनॉमी का फायदा उठाकर उसे लालच देना चाह रहा था और मिलिट्री एग्रीमेंट की बात कर रहा था, उसे श्रीलंका के राष्ट्रपति ने ऐसा जवाब दिया है कि जो चीन पर ‘तमाचे‘ की तरह लगा है। ऐसे में श्रीलंका के राष्ट्रपति ने दो टूक कह दिया है कि वह चीन के साथ कोई मिलिट्री एग्रीमेंट नहीं करेंगे। चीन को उसकी हैसियत बताते हुए श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने भारत को अपना हितैषी बताया और चीन को संदेश दिया कि उनके देश का इस्तेमाल कभी भारत के खिलाफ नहीं किया जा सकेगा। ब्रिटेन और फ्रांस के दौरे पर रवाना होने से पहले रानिल ने कहा। इस बात में किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए कि हम चीन से कभी मिलिट्री एग्रीमेंट नहीं करेंगे।

श्रीलंका की इकोनॉमी जल्द लाएंगे पटरी पर

विक्रमसिंघे ने एक इंटरव्यू में कहा कि चीन और श्रीलंका के रिश्ते मजबूत हैं, पर हम ये स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हमारे देश में चीन का कोई मिलिट्री बेस नहीं है औश्र न ही कभी होगा। कोई भी देश श्रीलंका का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं कर सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही श्रीलंका की इकोनॉमी को पटरी पर लाया जाएगा। चीन से जुड़े एक सवाल पर श्रीलंकाई राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा कि ‘चीन हमारे देश में 1500 साल से है, लेकिन उसका कोई मिलिट्री बेस यहां नहीं है। ऐसा होगा भी नहीं। ये सही है कि हंबनटोटा पोर्ट चीन के पास 99 साल की लीज पर है, लेकिन ये भी याद रखें कि इसकी सिक्योरिटी हमारी फौज के पास है। इसका इस्तेमाल सिर्फ कारोबार के लिए किया जा सकता है। मालूम हो, श्रीलंका ने कर्ज न चुका पाने के बाद 2017 में साउथ में स्थित हम्बनटोटा पोर्ट को 99 साल की लीज पर चीन को सौंप दिया था। ये पोर्ट एशिया से यूरोप के बीच मुख्य समुद्री व्यापार मार्ग के पास स्थित है। जो चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

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मुश्किल समय में भारत ने हमारी मदद की

रानिल ने कहा कि ‘हम मुश्किल दौर से गुजरे हैं और अब हालात काफी बेहतर हुए हैं। भारत समेत कई देशों ने हमारी मदद की है। मुझे पूरी उम्मीद है कि श्रीलंका की इकोनॉमी बहुत जल्द पटरी पर लौट आएगी।