पाकिस्तान के पेट में पाप समा गया है। पाकिस्तान कुछ दिन पहले तक अमेरिका को ब्लैकमेंल करता था और अफगानिस्तान-चीन के नाम पर पैसा वसूलता था। वहां से पैसा लेकर आतंकियों की ट्रेनिंग और हथियार में खर्च करता था। आतंक की फैक्ट्री चलाने के लिए पाकिस्तान में सब कुछ जायज है। अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के साथ ही पाकिस्तान की वसूली की एक दुकान तो बंद हो गई। अभी वो चीन से वसूली कर रहा है। कभी सीपेक के नाम पर तो कभी बलूचिस्तान में ग्वादर के नाम पर। सुनने में तो यह भी आया है कि पाकिस्तान अफगान तालिबान के साथ चीन का समझौता कराने के लिए भारी वसूली कर रहा है। चीन अफगान तालिबान से यह समझौता करना चाहता है कि वो ईस्ट तुर्कमेनिस्तान के आजादी आन्दोलन को मदद नहीं करेंगे। ईस्ट तुर्कमेनिस्तान मतलब शिनजियांग।
पाकिस्तान ने चीन के साथ सौदा किया है कि वो अफगान तालिबान से बात करा देगा लेकिन इसके बदले वो जितने कर्ज हैं उन्हें माफ कर दे। हालांकि चीन ने कर्ज माफी का कोई वादा नहीं किया है, लेकिन बातचीत जारी है। मतलब चीन से उधार लिए गए पैसों को हजम करने की पूरी तैयारी पाकिस्तान कर चुका है। इसी बीच पाकिस्तान ने वर्ल्ड बैंक के आगे झोली फैलाई और गरीबी-लाचारी का वास्ता देकर 800 मिलियन डॉलर का कर्ज के मुहायदे पर साइन कर दिए। वर्ल्ड बैंक ने भूखे-नंगे पाकिस्तान को 400 डॉलर देकर कर्ज की शर्तें पूरी करने को कहा। साथ ही यह भी कहा कि जब ये सारी शर्तें पूरी हो जाएंगी तो बाकी का 400 मिलियन डॉलर भी दे दिया जाएगा। वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान को कई सुझाव दिए थे जिनको तत्काल लागू करना था।
एक बार कर्ज के कागजों पर साइन हो जाने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तमाम हवा-हवाई योजनाओं के ऐलान कर दिए। भूखे-नंगे अवाम को सपने दिखा दिए लेकिन वर्ल्ड बैंक की शर्तों को पूरा नहीं किया। पाकिस्तान के नीयत खोट देखते ही वर्ल्ड बैंक ने बाकी 400 मिलियन डॉलर के रिलीज करने पर रोक लगा दी। साथ ही यह भी कहा है कि अगले 90 दिन तक पाकिस्तान ने कर्ज की शर्तो को पूरा नहीं किया तो डील रदद कर दी जाएगी और इस डील के तहत दिए गए 400 मिलियन डॉलर की वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।