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नेपाली मोर्चे पर चीन को मिली करारी हार, बौखलाए शी जिनपिंग ने चला नया पैंतरा

नेपाली मोर्चे पर चीन को मिली करारी हार, बौखलाए शी जिनपिंग ने चला नया पैंतरा

नेपाल में सारे हथकंडे फेल होता देख शी जिनपिंग बुरी तरह बौखला गए हैं। चीन की राजदूत होऊ यांकी ने ऐड़ी चोटी का जोर लगा लिया है। लेकिन वो कामयाब नहीं हो सकी हैं। इसलिए शी जिनपिंग ने अपने नए सियासी पहलवान गुओ येझोऊ को काठमाण्डू के मैदान में उतार दिया है। दरअसल, प्रधानमंत्री ओली सख्त इरादों के साथ अपनी राह चल रहे हैं। ओली ने ऊपरी सदन बुलाने के लिए नोटिस भी दे दिया है। ओली के कदमों से लगता है कि वो पूरी तरह विश्वस्त हैं कि सर्वोच्च न्यायालय उन्हीं के पक्ष में फैसला देगा, और उन्होंने जो कुछ भी किया है वो नेपाल के हितों को ध्यान में रख कर किया है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और विदेश मंत्री वांग ई को विश्वास नहीं हो रहा है कि ओली उनकी गिरफ्त से बाहर कैस हो गए।

<img class="alignnone wp-image-22387 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/12/Guo-yejohu.jpg" alt="Guo Yezhou nepal" width="1280" height="720" />

यहां यह भी गौरतलब है कि नेपाल में चीनी राजदूत की हाइपर एक्टिविटी के बावजूद चीनी विदेश मंत्री वांग ई का अभी तक कोई बयान या प्रतिक्रिया नहीं आई है। इसके बजाए शी जिनपिंग ने कम्युनिस्ट पार्टी के विदेश मामलों के वाइस मिनिस्टर गुओ येझोऊ को नेपाल भेजने का फैसला किया है। गुओ येझोऊ अपने साथ चार अन्य नेपाल विशेषज्ञों को ला रहे हैं। ये सभी रविवार को चाइना सदर्न एयरलाइंस की फ्लाइट से काठमाण्डू पहुंच रहे हैं। गुओ येझोऊ वही शख्स हैं जिन्होंने सितंबर 2019 में काठमाण्डू पहुंचकर नेपाली सरकार को यह सिखाया और पढ़ाया था कि सोशलिज्म और कम्युनिज्म पर शी जिनपिंग की के विचार हैं। मतलब यह कि जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग काठमाण्डू में होंगे तो उनके साथ कैसे पेश आना है, उनसे कैसे बात करनी है, उनसे क्या पूछना है और कैसे पूछना है। सितंबर 2019 में महाबलेश्वर में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के बाद शी जिनपिंग नेपाल पहुंचे थे।

<img class="alignnone wp-image-22389 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/12/hou-yanqi-nepal-1.jpg" alt="hou yanqi nepal " width="1280" height="720" />

नेपाल को अपने हाथों की कठपुतली बनाने पर उतारू शी जिनपिंग चाहते हैं कि किसीभी तरह सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई याचिकाएं वापस ले ली जाएं और एक बार फिर पुष्प कमल दहल प्रचण्ड और केपी शर्मा ओली की आपस में सुलह करवा दी जाए और चुनाव में जाने से बजाए संसद को यथावत जारी चलाया जाए। क्यों कि अगर चुनाव होते हैं तो कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार फिर से बनना मुश्किल है। और कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार नेपाल में न होने से चीन के मंसूबे धरे के धरे रह जाएंगे। चीन नेपाल का उपयोग भारत के खिलाफ करना चाहता है। पिछले 70 सालों में पहली बार चीन को मौका मिला है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग किसी भी सूरत में इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं।

गुओ येझोऊ नेपाल में बुधवार तक रहेंगे। मतलब यह कि वो सर्वोच्च न्यायलय का आदेश आने तक काठमाण्डु न छोड़ने का प्लान बना कर आ रहे हैं। नेपाल की राजनीति में सबसे ज्यादा नुकसान नेपालियों का हो रहा है। कुछएक लोगों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश नेपाली जनमानस भारत को अपने नजदीक देखता है। चीन के प्रभाव नेपाल की संस्कृति भी संक्रमित हो रही है। चीन के दबाव और प्रभाव के बीच नेपाल में राजशाही को बहाल करने के आंदोलन और भी तेज होने लगे हैं। शी जिनपिंग की चिंता का एक कारण यह भी है कि जिन नेपाली कामरेडों को चीनी पहाड़ा सिखा-पढ़ा कर वो यहां तक लाएं हैं वो आगे जाने की स्थिति में नहीं है और ऐशिया की राजनीति में उनका गणित गड़बड़ाता नजर आ रहा है।.