गलवान वैली हिंसा (Galwan Valley Clash) में चीनी सैनिकों के मारे जाने की पोल खुल जाने से चीन में बवाल मचा हुआ है। लगभग एक हफ्ते से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन चीनी जनता की बौखलाहट खत्म होने का नाम नहीं लेरही है। चीन के लोग इस बात को नहीं पचा पा रहे हैं कि भारत के बलवीरों के हाथ पीएलए को हार का सामना भी करना पड़ सकता है। सच्चाई सामने आने से चीन के कम्युनिस्ट पार्टी का युवा काडर आक्रोशित है। चीन की माइक्रोसाइट वीवो पर चीनी युवा अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं। चीनी युवा शी जिनपिंग (Xi Jinping) से पूछ रहे हैं कि अगर 45 सैनिकों के बाद वापस ही लौटना था तो फिर सेना को आगे बढने का आदेश क्यों दिया गया। चीन के युवाओं ने विएतनाम वॉर के बाद से अभी तक चीनी सैनिकों की इस तरह मौत को पहली बार देखा है। विएतनाम के साथ तो घोषित वॉर था। भारतीय बलवानों ने तो बिना युद्ध और बिना एक भी गोली चलाए 45 चीनियों को मार गिराया। हालांकि, इस संघर्ष में भारत के एक कर्नल समेत 20 सैनिक शहीद हुए थे।
बहरहाल, चीनी युवाओं का आक्रोश इसलिए भी है कि चीनी सैनिकों के मारे जाने की खबर शी जिनपिंग की सरकार ने इतने दिन तक क्यों छुपाई। चीनी युवा यह भी पूछ रहे हैं कि भारतीय सैनिकों के हाथों मारे गए चीनी सैनिकों के सारे नाम सार्वजनिक क्यों नहीं किए गए हैं। चीनी सरकार ने केवल उन्हीं के नाम सार्वजनिक किए हैं जिन्हें अलंकृत किया गया है। इनमें उनका एक ब्रिगेड कमांडर भी है।
बहरहाल, चीनी युवाओं का वश जब अपनी सरकार पर नहीं चला तो उन्होंने बीजिंग स्थिच दूतावास को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। चीनी माइक्रो सोशल साइट वीवो पर भारतीय दूतावास को अपशब्द लिखने शुरू कर दिए हैं। भारतीय सैनिकों की शूरवीरता से चीन के युवा कम्युनिस्ट कॉडर बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। चीन के युवा कम्युनिस्ट काडर गलवान वैली में मारे गए चीनी सैनिकों को याद में श्रद्धांजलि समारोह कर रहे हैं।
चीन में पहली बार ऐसा हो रहा है कि शी जिनपिंग सरकार के खिलाफ चीन की की सोशल साइट पर विरोध हो रहा है। एलएसी से सैनिकों की वापसी से शी जिनपिंग घर में ही घिर गए हैं। चीन के सामने ये हालात रूसी समाचार एजेंसी ‘तास’ के उस खुलासे से आई जिसमें कहा गया था कि भारत के साथ गलवान में चीन के 45 सैनिक मारे गए थे। रूसी समाचार एजेंसी का यह दावा इसलिए भी सच माना गया क्यो कि गलवान के बाद रूस ने ही चीन और भारत तनाव घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि, भारत की कड़ी जवाबी कार्रवाई ने तो पहले से ही पीएलए के सैनिकों के हौसले तोड़ दिए थे। इस बीच पैंगोंग झील से सैनिकों की वापसी को लेकर चीन की अपने ही देश में खासी आलोचना हो रही थी। चीनी लोग सेना और कम्युनिस्ट पार्टी से सवाल पूछ रहे थे कि इतने दिनों से जारी तनाव के बाद आखिर सेना पीछे क्यों लौट रही है
चीनी के युवा काडर में गुस्सा इसलिए भी है कि चीन की सेना ने गलवान की पूरी बात सच नहीं बताई है। क्योंकि चीने के मिलिट्री कमीशन नेमात्र पांच अफसरों को हीगैलेंट्री अवॉर्ड्स देकर अपनी कार्रवाई को संपन्न कर दिया। मिलिट्री कमीशन ने गलवान घाटी में हुई घटना का पूरा विवरण नहीं दिया गया है और न ही घटना के हताहतों की जानकारी दी।