आजकल एक फिल्म द कश्मीर फाइल्स का देश-विदेशों में खूब हो रहा है। इस फिल्म के जरिए पहली बार कश्मीरी आतंकवाद और कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की कहानी दुनिया के सामने आई। पहली बार दुनिया ने जाना कि कश्मीरी पंडितों के साथ कश्मीर में क्या हुआ? इस कहानी में एक सीन है कश्मीरी पंडित बीके गंजू की हत्या कर उसके खून से सने चावल पत्नी को खिलाने का। इस सीन को देखकर रौंगटे खड़े हो जाते हैं और खून खौलने लगता है।
आतंकियों की बर्बरता की ऐसी ही एक कहानी इराक में सेक्स स्लेब बनाकर रखी एक यजीदी महिला की है। आईएसआईएस से आतंकियों ने एक साल के बेटे के साथ उसको अगवा किया। कई दिनों तक उसके साथ बलात्कार किया। फिर उसे तीन दिनों तक भूखा रखा गया। तीन दिन की भूखी-प्यासी यजीदी महिला को आईएसआई के आतंकियों ने पके हुए गोश्त के साथ चावल दिए। खाने बाद उस यजीदी महिला को बताया गया कि गोश्त उसी के बेटे का था…।
आईएसआईएस के नरक से इस यजीदी महिला को इराक की ही एक महिला सांसद वियान दाखिल ने रेस्क्यू किया था। संयुक्त राष्ट्र के रिहेब्लिटेशन सेंटर में रह रही इस यजीदी महिला ने आपबीती सुनाई और बताया कि आतंकियों ने कैसे उसीके जिगर के टुकड़े का मांस पकाकर उसे खिला दिया। इस यजीदी महिला की दास्तान सुनकर सभी के रौंगटे खड़े हो गए।
इराकी सांसद वियान डाखिल ने मिस्र के टीवी चैनल एक्स्ट्रा न्यूज को बताया कि जिन महिलाओं को आईएसआईएस के चंगुल से बचाया उनमें से इस महिला ने अत्याचारों की पराकाष्ठा को झेला था। उसे तीन दिनों तक बिना भोजन और पानी के एक तहखाने में कैद रखा गया था। जब उस महिला को बचाया गया तो उसने अपनी कहानी बयां की। उसने कहा कि आईएसआएस आतंकियों ने उसे सेक्स स्लेव बनाकर रखा था। उसके साथ एक साल का बच्चा भी था, जिसे आतंकियों ने जबरन अलग कर लिया था।
तीन दिनों बाद एक जल्लादी आतंकी ने उसके ही बेटे को मारकर उसका मांस पकाया और उस महिला को चावल के साथ खाने को दे दिया। वह बेचारी महिला अनजाने में उस खाने को खा भी लिया था। बाद में महिला को पता चला कि उसे उसके ही बेटे का मांस पकाकर खिला दिया गया है तो वो अपने होश खो बैठी, लेकिन इन आतंकियों के थोड़ी भी रहम नहीं दिखाया।
यजीदी वो कौम है, जिस पर आईएसआईएस आतंकियों ने सबसे ज्यादा जुल्म ढाहा। इनके कौम के पुरुषों की बर्बर तरीके से हत्याएं की गईं, महिलाओं का बलात्कार कर उन्हे सेक्स स्लेव बनाया गया। लड़कियों को पकड़कर उनकी मंडियां लगाईं गईं। जबरन धर्म परिवर्तन करवाया गया। जिसके बाद से इस समुदाय ने आतंकियों से बचने के लिए इराक के उत्तर पश्चिम की पहाड़ियों पर शरण ली। इनकी सबसे ज्यादा आबादी इराक में रहती है, जहां इनकी संख्या 500000 से 700000 तक है। यजीदी सीरिया, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, आर्मीनिया, जॉर्जिया और रूस में भी बसे हुए हैं।
यजीदियों को आईएसआईएस के आतंकी ही नहीं बल्कि सुन्नी मुसलमान काफिरों से भी ज्यादा हीन निगाह से देखते हैं। उनकी नजर में यजीदियों को जीने का कोई हक नहीं है। यजीदियों का कत्ल करना मुसलमानों अपना फर्ज मानते हैं। उनकी बच्चियों और औरतों को नग्न मंडी लगाना, मंडी में कुंआरी लड़कियों की वर्जिनिटी की जांच करना और फिर उसके अंगों और बदन के गठीले आकार के हिसाब से बोली लगाना इस्लाम के हक में कदम मानते हैं। इराक में आईएसआईएस के आतंक के बीच गुलाम यजीदी महिलाओं और बच्चियों को किसी एक मालिक के कैदखाने में ही नहीं रहना होता था, बल्कि एक ही दिन में दर्जनों बार उनका बलात्कार होता था और अगले दिन कुछ कम पैसों में कोई और खरीद लेता था। आतंकियों की यातनाओं के बीच तमाम यजीदी बच्चियों और औरतों दम तोड़ देतीं तो उनके शरीर को गड्ढों में डाल दिया जाता था। खास बात यह कि आईएसआईएस के आतंकी ही नहीं बल्कि उनकी औरतें भी यजीदी महिला-बच्चियों को बलात्कार और यातना के काबिल मानती थीं। माल-ए-गनीमत यानी जंग में जीता हुआ माल मानी जाती थीं।
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गलती से समझा गया शैतान का उपासक
यजीदी लोगों को गलती से शैतान का उपासक समझा गया। अपमान, उत्पीड़न और सामूहिक नरसंहार के कारण पिछली एक सदी में इनकी तादाद में भारी गिरवाट आई है। कोई भी व्यक्ति धर्मांतरण करके यजीदी नहीं बन सकता, सिर्फ इस धर्म में पैदा होकर ही यजीदी बना जा सकता है। इनका संबंध फारसी भाषा के 'इजीद' से है, जिसका अर्थ फरिश्ता या देवता होता हैं।