कोरोना वायरस की वजह से इस वक्त पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है, साथ ही भारत का पड़ोसी देश नेपाल भी दूसरी लहर की चपेट में है। यहां पर ऑक्सीजन सिलेंडर की समस्या काफी ज्यादा बढ़ गई है। साथ ही खाली ऑक्सीजन सिलेंडर की समस्या से भी नेपाल काफी ज्यादा जूझ रहा है। ऐसे में नेपाल ने पर्वतारोहियों से कहा है कि वो पर्वतारोहण के दौरान इस्तेमाल की गई खाली ऑक्सीजन सिलेंडर वापस लेकर आएं।
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नेपाल सरकार के एक अधिकारी के कहा है कि, ऐसा इसलिए कहा गया है ताकि ऑक्सीजन सिलेंडर की समस्या से राहत मिल सके। नेपाल ने पर्वतारोहियों के लिए बकायदा गाइडलाइंस जारी करते हुए कहा है कि पहाड़ों पर ऑक्सीजन के खाली सिलेंडर छोड़ने के बजाए उसे वापस लेकर आएं। एक रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल ने इस साल 700 पर्वतारोहियों को अलग अलग चोटी पर चढ़ने की इजाजत दी है। ये 700 पर्वतारोही हिमालय की अलग अलग 16 चोटियों पर चढ़ने की कोशिश करेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार 700 पर्वतारोहियों में 408 माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पर्वतारोही हैं। अभी का मौसन पर्वतारोहण के लिए सबसे ज्यादा अनुकूल होता है और लिहाजा ये पीक समय होता है। नेपाल पर्यटन इंडस्ट्री बहुत हद तक पर्वतारोहण पर टिकी हुई है और नेपाल में एक पर्वतारोही को माउंड एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए करीब 40 लाख रुपए तक खर्च करने पड़ने हैं। नेपाल माउंटेनियरिंग एसोसिएशन ने पर्वतारोहियों से अपील करते हुए कहा है कि वो नेपाल सरकार को कोविड-19 के खिलाफ जंग जीतने में मदद करे।
नेपाल माउंटेनियरिंग एसोसिएशन के अधिकारी कुल बहादुर गुरंग ने कहा कि 'नेपाल में अभी पर्वतारोही और शेरपा, दोनों को मिला दें तो अबी उनके पास 3500 ऑक्सीजन सिलेंडर हैं। ये ऑक्सीजन बोतल्स ज्यादातर समय हिमस्खलन के वक्त खो जाते हैं या फिर पर्वतारोही अकसर ऑक्सीजन बोतल्स को पर्वतों पर छोड़ देते हैं। लेकिन, इस बार अपील की गई है कि वो खाली सिलेंडर लेकर वापस आ जाएं ताकि उन ऑक्सीजन सिलेंडरों का इस्तेमाल कोरोना वायरस से परेशान मरीजों के इलाज में किया जाए'।