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मुसलमानों पर कांग्रेसी दिग्गज के बयान से पार्टी में बेचैनी, ढहने वाला है साउथ में कांग्रेस का किला!

अंदर ही अंदर कमजोर हो रही है कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री के. रहमान खान ने सोनिया गांधी कमान की मुश्किलें बढ़ा दी है। उन्होंने अपनी पार्टी के ऊपर ही कई सवाल खड़े किए हैं। अपनी ही पार्टी के ऊपर उन्होंने आरोप लगाया है कि, पार्टी मुस्लिम समुदाय से सही लोगों को प्रतिनिधित्व नहीं दे रही है। इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि, वो पार्टी के भीतर खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं। उन्होंने पार्टी पर आरोप लगाया है कि, कांग्रेस मुस्लिम समुदाय के अच्छे नेताओं को आगे बढ़ाने का तवज्जो नहीं दे रही है।

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राज्यसभा के पूर्व उपसभापति के. रहमान खान ने कहा कि, अब मुसलमानों के देश के सबसे पुराने दल को लेकर अपनापन मबसूस नहीं हो रहा है जिसका खामियाजा पार्टी भुगत रही है। उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के पदासीन मुस्लिम नेताओं की योग्यता पर भी सवाल खड़े किए और दावा किया कि राष्ट्रीय संगठन में मुसलमान समुदाय से सही लोगों को जगह नहीं दी गई है। इसके साथ ही उन्होंने यह कहा कि, वो आजीवन 'कांग्रेसमैन' रहेंगे क्योंकि पार्टी छोड़ना उनके डीएनए में नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने उस खबर पर भी बात किया जिसमें कहा गया है कि, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कर्नाटक में कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की है जिसे इन नेताओं को तृणमूल कांग्रेस में शामिल कराने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि, उनकी किशोर के साथ कोई मुलाकात नहीं हुई है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री के. रहमान खान ने कहा कि, देश की 20 करोड़ की आबादी को लहता है कि उसके नेतृत्व की कोई पहचान नहीं है। यह राजनीतिक नेतृत्व देने की उम्मीद कांग्रेस से ही की जा सकती है। कांग्रेस अब मुस्लिम समुदाय से अच्छे नेताओं को आगे बढ़ाने का तवज्जो नहीं दे रही है। अगर आप मुस्लिम समुदाय से किसी को भी आगे लाते हैं तो उसकी लोकप्रियता उसके समुदाय में होनी चाहिए। सिर्फ नाम से नुमाइंदगी देने से नेतृत्व नहीं उभरता है।

उन्होंने कहा कि, कांग्रेस में मुस्लिम नेतृत्व नहीं उभर पाया है। यज जरूरी है कि दूसरे दलों के मुकाबले कांग्रेस ने मुसलमानों को ज्यादा प्रतिनिधित्व दिया। लेकिन यह प्रतिनिधित्व देते समय यह ध्यान नहीं किया गया कि कौन सही नेतृत्व है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, एंटनी समिति की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस को लगा कि हमें मुस्लिम पार्टी माना जा रहा है जिससे हिंदू हमसे दूर हट रहा है। अब मुसलमानों के बारे में खुलकर बात करने से पार्टी पीछे हट रही है। पार्टी की यह कमी है कि वह सिद्धांतों के मुताबिक नहीं जा रही है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, अल्पसंख्यक 70 साल से आपके साथ खड़ा था और आपको सत्ता में लाने के लिए एकजुट होकर काम करता था। लेकिन अब मुसलमानों को यह शक हो रहा है कि कांग्रेस हमें छोड़ रही है। इसी का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ रहा है। जहां भी मुसलमानों के सामने विकल्प है वो वहां से कांग्रेस से दूर जा रहे हैं। उनका कहना है कि, मुसलमान अपनी सुरक्षा चाहता है, धर्मनिरपेक्षता और संविधान की रक्षा चाहता है। मुसलमानों का सिर्फ कांग्रेस सपा और बसपा जैसी पार्टिोयों ने लंबे समय तक मुस्लिम वोट का फायदा उठाया।

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उन्होंने अपनी सलाह देते हुए कहा कि, कांग्रेस मुसलमानों को अपने भरोसे में ले और उन्हें महसूस कराए कि वो उनके साथ खड़ी है। ऐसा नहीं होना चाहिए की जो आपके लिए खड़ा रहे उसे ही आप टिकट न दें। उन्होंने कहा पार्टी ने मुझे सबकुछ दिया लेकिन मैं खुद को आज उपेक्षित समझता हूं, इसलिए नहीं कि मुझे कोई पद चाहिए, बल्कि इसलिए कि आप मुस्लिम समुदाय को लेकर मेरे अनुभव का इस्तेमाल कर सकते हैं, साथ चर्चा तक कर सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इसके साथ ही यह भी कहा कि, पार्टी में जो भी जिम्मेदार लोग हैं, उन्हें यह सोचना चाहिए कि हमारे नेता क्यों जा रहे हैं। लेकिन यह नहीं हो रहा है। मुझे लगता है कि संगठनात्मक ढांचे में कुछ सुधार होना चाहिए।