Tehreek-e-Taliban: एक कहावत है कि, “जो बोओगे वही काटोगे” ये लाइन पाकिस्तान के ऊपर बिल्कुल फिट बैठती है। क्योंकि, पाकिस्तान जब भारत के खिलाफ आतंकवाद को जन्म दे रहा था तो उसे ये नहीं पता था कि, यही आतंकी एक दिन उसके लिए जख्म बन जाएंगे। आज हाल यह है कि, पाकिस्तान दो टुकड़ों में बंटता नजर आ रहा है। आने वाले दिनों में आतंकी अपना खुद का मुल्क बना सकते हैं जहां पर वो अपने मन मुताबिक शरिया कानून लागू कर शासन करेंगे। आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (Tehreek-e-Taliban) ने घोषणा की है कि वह अपने महीनों लंबे ‘अनिश्चितकालीन सीजफायर’ को खत्म करने जा रहा है। संगठन ने पाकिस्तान सरकार पर अफगान तालिबान के समझौते का पालन न करने का आरोप लगाया है। टीटीपी (Tehreek-e-Taliban) प्रवक्ता मोहम्मद खोरासानी ने रविवार को अपने बयान में कहा कि पाकिस्तान सरकार ने वार्ता को सफल बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए हैं इसलिए सीजफायर जारी रखना संभव नहीं है।
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टीटीपी ने सीजफायर को खत्म करने के पीछे कई कारण दिए हैं, जैसे- कैदियों की रिहाई न करना, सैन्य अभियान का जारी रहना और पाकिस्तान सरकार से संवाद की कमी। पाकिस्तान के एक अखबार की माने तो, आतंकवादियों ने दावा किया कि सरकार ने उनके कुछ कैदियों को रिहा किया था लेकिन फिर उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया जो ‘समझौते का उल्लंघन’ है। सीजफायर को खत्म करते हुए टीटीपी के मुखिया मुफ्ती नूर वली ने कहा कि उन्होंने कभी वार्ता से इनकार नहीं किया और यह शरिया कानून का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि इन वार्ताओं के दौरान कोई प्रगति नहीं हुई, लिहाजा सशस्त्र संघर्ष जारी रहेगा।यह भी पढ़ें- IMF की चेतावनी- पाकिस्तान में भड़क सकते हैं भयंकर दंगे।
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मुफ्ती नर ने कहा है कि, अगर बातचीत सफल होती है तो भविष्य की कार्रवाई की घोषणा बाद में की जाएगी। पाकिस्तान और प्रतिबंधित टीटीपी के बीच वार्ता में कई गतिरोध हैं। शांति समझौते के तहत टीटीपी के हथियार डालने के मुद्दे पर भी गतिरोध बना हुआ है। अगस्त की शुरुआत में खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत से कबायली परिषद के नेताओं के 17 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और टीटीपी के बीच वार्ता गतिरोध के साथ खत्म हुई थी। पाकिस्तान में हालिया आतंकी घटनाओं और पाक सेना पर हुए हमलों के लिए टीटीपी ही जिम्मेदार है।