NASA Mars: मंगल ग्रह पर लाइफ से जुड़े कुछ सबूत का पता लगाने के लिए नासा ने पर्सीवरेंस रोवर को भेजा था। एक प्राचीन नदी के तल में ये रोवर सैंपल ले रहा था। सैंपलिंग का काम लगभग पूरा हो गया है। मगर इस बीच अब खबर आ रही है कि रोवर मंगल ग्रह पर सैंपल को गिराता हुआ चल रहा है। तो क्या रोवर में कोई खराबी आ गई है? चिंता मत कीजिए ऐसा कुछ नहीं हुआ है। दरअसल सैंपल को मंगल की सतह पर गिराना नासा के प्लान का हिस्सा है। रोवर ने जिस-जिस पत्थर पर ड्रिल किया वहां से दो सैंपल लिए थे। जिन ट्यूब को पर्सीवरेंस रोवर गिरा रहा है वह बैकअप के लिए लिए गए सैंपल हैं।
नासा का प्लान है कि 9 साल बाद 2033 तक मंगल ग्रह से इन सैंपल को पृथ्वी पर लाया जाए। इसके लिए नासा मंगल ग्रह पर एक लैंडर भेजेगा। लेकिन, करीब 9 साल एक लंबा समय होता है। इस दौरान हो सकता है कि नासा का क्यूरियोसिटी रोवर ही खराब हो जाए। या उसकी बैट्री पूरी तरह खत्म हो जाए। यदि ऐसा होता है तो सैंपल को लाना मुश्किल हो जाएगा। तब जमीन पर गिरे यही सैंपल काम आएंगे। नासा लैंडर के साथ में सैंपल रिकवरी हेलीकॉप्टर भेजा जाएगा, जो इन्हें वापस उठाएंगे और लैंडर में रखेंगे।
धूल में दब जाएंगे ट्यूब?
वैसे आपके मन में यह सवाल ही चल रहा होगा कि मंगल ग्रह की जमीन पर ट्यूब को गिराने से कहीं ये धूल में न दब जाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि नासा के इनसाइट लैंडर के सोलर पैनल पर धूल जमने के कारण ही उसे मंगलवार को आधिकारिक तौर पर रिटायर करना पड़ा। नासा ने इसे लेकर भी जवाब दिया है। नासा का कहना है कि मंगल का वातावरण पृथ्वी की तरह घना नहीं है। यहां धूल उड़ती है, लेकिन उतनी नहीं, कि मिट्टी की एक मोटी परत जम जाए। नासा ने क्यूरियोसिटी रोवर की एक फोटो जारी कर दिखाया है कि 9 साल में मंगल पर कितनी धूल जम सकती है।
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धूल की वजह से इनसाइट लैंडर रिटायर
नासा के इनसाइट लैंडर को धूल की वजह से रिटायर होना पड़ा है। नासा ने बताया कि 4 साल में इसके सोलर पैनल पर धूल की एक पतली परत जमा हो गई थी, जिसके कारण इसकी बैट्री चार्च नहीं हो पा रही थी। नासा का यह लैंडर मंगल की सतह की अंदरूनी रचना की जांच के लिए भेजा गया था।