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India Vs China: G-20 बैठक का चीन ने किया विरोध तो PM Modi ने दिया यह जवाब, जानिए क्या बोले

India Vs China: G-20 बैठक का चीन ने किया विरोध तो PM Modi ने दिया यह जवाब

India Vs China: जम्मू-कश्मीर में होने वाली G20 मीटिंग में शामिल होने चीन ने मना कर दिया है। बता दें चीन ने शुक्रवार को कहा कि वह जी-20 पर्यटन कार्य समूह की बैठक में शामिल नहीं होगा और वह इस तरह की बैठक का विवादित क्षेत्र में आयोजन का ‘दृढ़ता’ से विरोध करता है। चीन पाकिस्तान का करीबी सहयोगी है।भारत 22 मई से 24 मई तक जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में तीसरी जी-20 पर्यटन कार्य समूह की बैठक की मेजबानी करेगा। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को कहा कि श्रीनगर में जी-20 बैठक जम्मू कश्मीर के लिए अपनी वास्तविक क्षमता दिखाने का एक बड़ा अवसर है। सिंह ने कहा कि श्रीनगर में इस तरह के अंतरराष्ट्रीय आयोजन से देश और दुनिया भर में सकारात्मक संदेश जाएगा।

जी-20 पर उठे सवाले के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने ताइवान और साउथ चाइना सी विवाद (India Vs China) का जिक्र कर ड्रैगन की बोलती बंद करने का काम किया है। दरअसल, 12 दिन पहले अचानक ही साउथ चाइना सी में चाइनीस वॉरशिप्स की एक्टिविटी बढ़ गई थी। चीन के बड़े-बड़े जहाज और एयरक्राफ्ट यहां जमा होने लगे। सवाल उठने लगे कि क्या चीन ब्राउंड्री विवाद (India Vs China) को लेकर दूसरे देशों के खिलाफ एग्रेसिव एक्शन लेने वाला है लेकिन जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि वह साउथ चीन में हो रही पहली इंडियन नेवल एक्सरसाइज के बारे में पता लगा रहा था।

‘भारत अपनी अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध’

एक्सरसाइज को लेकर जासूसी करने के लिए चीन ने अपनी वॉरशिप को एक्टिव किया था। इन सबके बीच हिरोशिमा में पीएम मोदी ने मीडिया को एक इंटरव्यू दिया। इसमें मोदी से साउथ चाइना सी और ईस्ट चाइना सी में हो रही चीनी सेना के विस्तार और ताइवान की स्थिति (India Vs China) पर भारत का रुख जानने के लिए सवाल किए गए थे। मोदी (PM Modi) ने कहा था कि भारत अपनी संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

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पीएम मोदी (PM Modi) ने आगे कहा कि इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए बांग्लादेश के साथ रिश्तों को सुधारा है। असल में मोदी का ये बयान ऐसे समय पर आया है जब चीन ने कश्मीर में होने वाली जी-20 बैठक को लेकर अपनी टांग अड़ाने की कोशिश की है। इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय कि ओर से कहा गया था कि भारत अपने किसी भी क्षेत्र में बैठक करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है।