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झांसी के बाद अब बिठूर के क़िले(Bithoor Fort)में ‘दास्तान-ए-झांसी’ का मंचन।

झांसी के बाद Bithoor Fort में ‘दास्तान-ए-झांसी’ का मंचन।

Bithoor Fort : ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ श्रृंखला के तहत संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की स्वायत्त संस्थान उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज द्वारा कारगिल दिवस के मौके पर एक नाटक का मंचन किया जाएगा।

कारगिल दिवस के मौके पर ‘क़िला और कहानियां’ शीर्षक के तहत ‘बिठूर क़िला की शौर्यगाथा’ विषय पर आधारित नाटक ‘दास्तान-ए-झांसी’ का मंचन रानी लक्ष्मीबाई जन्मस्थली बिठूर क़िला कानपुर में किया जा रहा है।

‘दास्तान-ए-झांसी’ का मंचन

इस आयोजन में दिल्ली की प्रमुख नाट्य संस्था ‘मैलोरंग’ यानी मैथिली लोक रंग को झांसी की रानी केन्द्रित नाट्य प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया है। मैलोरंग की ओर से अमिताभ श्रीवास्तव लिखित नाटक ‘दास्तान-ए-झांसी’ और रमन कुमार निर्देशित नाटक का मंचन किया जाएगा।

वहीं, ‘दास्तान-ए-झांसी’ नाटक के जरिए महारानी लक्ष्मीबाई की बलिदान और राष्ट्रीयता के प्रति समर्पण को विशेष रूप से दिखाया जाएगा,साथ ही लोगों तक भारतीय इतिहास को लेकर भी जानकारी मिल सकेगी।

26 जुलाई शाम 7 बजे से होगा मंचन

मैलोरंग द्वारा यह नाटक  26 जुलाई को शाम 7.00 बजे से बिठूर की क़िला में मंचित किया जाएगा। बता दें कि इससे पहले भी ‘दास्तान-ए-झांसी’ का सफल मंचन झांसी के क़िले में किया जा चुका है।

सभी रंगकर्मियों को तलवारबाजी का विशेष प्रशिक्षण

मैलोरंग की ओर से बिठूर में इस नाट्य प्रस्तुति का यह दूसरा मंचन होगा। इस नाट्य प्रस्तुति में कुल 18 रंगकर्मी हिस्सा ले रहे हैं । इन सभी रंगकर्मियों  को तलवारबाजी एवं लाठी भाँजने का विशेष प्रशिक्षण दिया गया है ।

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित रंगकर्मी होंगे शामिल

नाट्य प्रस्तुति के निर्देशक रमन कुमार ने अपने रंगमंच का प्रारम्भ ‘मैलोरंग’ से ही किया । फिर उनका चयन भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ में हुआ। वहां से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद पुन: अपनी मातृ संस्था ‘मैलोरंग’ में आकर रेपर्टरी प्रमुख की हैसियत से नए रंगकर्मियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं।

इस नाट्य प्रस्तुति में भी भरपूर मात्रा में संगीत एवं युद्ध कला दोनों का समिश्रण देखने को मिलेगा । ‘मैलोरंग’ यानी मैथिली लोक रंग के निदेशक और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के प्रकाशन विभाग के प्रमुख डॉ. प्रकाश झा ने कहा की इस प्रस्तुति में बहुत से रंगकर्मी भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ; राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (बनारस सेंटर) आदि से प्रशिक्षित हैं।

प्रशिक्षित रंगकर्मियों के सानिध्य में मैलोरंग की नई पीढ़ी होगी तैयार

इन्हीं प्रशिक्षित रंगकर्मियों के सानिद्ध्य में रहकर ‘मैलोरंग’ की नई पीढ़ी तैयार हो रही है, जो मैथिली एवं हिन्दी दोनों ही रंगमंच को समृद्ध करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि यह हमारी पूरी टीम के लिए गौरव की बात है कि नाटक ‘दास्तान-ए-झांसी’ की पहली प्रस्तुति झांसी के क़िले में ही आयोजित हुई और अब इसकी दूसरी प्रस्तुति कारगिल दिवस के अवसर पर बिठूर के क़िले में हो रही है।

वहीं, डॉ प्रकाश झा ने कहा कि ‘दास्तान-ए-झांसी’ नाटक की प्रस्तुति देश के विभिन्न स्थानों पर हो।  ताकि आने वाली पीढ़ियों तक रंगकर्म के माध्यम से भारत के गौरवशाली इतिहास की जानकारी पहुंचे।

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