Karva Chauth 2021: हिंदू धर्म में पति की लंबी उम्र और बेहतरी के लि कई व्रत रखे जाते हैं लेकिन सबसे खास व्रत करवा चौथा का माना गया है। इस दिन मत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, इसके बार रात को पूजा-अर्चना और चांद को अर्घ्य देने के बाद पकि के हाथों पानी पीकर व्रत का पारण करती हैं। करवाचौथ के व्रत के समय कई चीजों को खास ध्यान रखा जाता है, इसके साथ ही गलती करने पर आपके पति या आपर बुरा असर पड़ सकता है।
बता दें कि, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवाचौथ का व्रत रखा जाता है, सुहागिन महिलाएं इस दिन 16ऋंगार करके पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। इस दिन सूर्योदय के बाद से महिलाएं पति की सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, दिनभर भूखी-प्यासी रह कर शाम के वक्त कथा पढ़ती-सुनती हैं और रात के समय गणेश जी, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इसके बाद चंद्रोदय के बाद चांद के दर्शन करके पूजन करती हैं और चांद को अर्घ्य देकर पति के हाथों से जल ग्रहण करती हैं। इस बार करवाचौथ 24अक्टूबर, रविवार के दिन मनाई जाएगी। हिंदू धर्म के अनुसार मान्यता है कि, करवाचौथ के दिन कथा पढ़ने-सुनना शुभ फलदायी होता है।
करवाचौथ व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, इंद्रप्रस्थपुर में एक ब्राह्मण रहता था, उसके साथ पुत्र और एक वीरावती नाम की पुत्री थी। इकलौती पुत्री होने के कारण वे सभी की लाडली थी, ब्राह्मण ने अपनी बेटी का विवाह एक ब्राह्मण युवक से कर दिया था। शादी के बाद वीरावती पहली करवाचौथ पर मायके आई हुई थी। उसने पति की लंबी उम्र के लिए मायके में ही व्रत रख लिया। वीरावती भूख-प्यास बर्दाश्त नहीं कर सकी और मूर्छित होकर गिर गई, भाइयों से बहन की ऐसी हालत देखी नहीं गई।
बहन की हालत देख भाइयों ने उसका व्रत खुलवाने की सोची। उन्होंने एक दीपक जलाकर पेड़ के पीछे छलनी में रख दिया। और बहन को बोला की चांद निकल आया है। वीरावती ने छत पर जाकर चंद्र दर्शन किए और पूजा पाठ करने के बाद नीचे आकर खाना खाने बैठ गई। वीरावती के भोजन शुरू करते ही पहले कौर में बाल आया, दूसरे में छींक आ गई और तीसरे कौर में उसे अपने ससुराल से निमंत्रण आ गया। ससुराल का निमंत्रण पाते ही वीरावती भागी-भागी वहां पहुंची, वहां जाते ही उसने देखा कि उसका पति मृत है.।पति को इस हालत में देख वो व्याकुल होकर रोने लगी।
वीरावती की ऐसी हालत देखर इंद्र देवता की पत्नी देवी इंद्राणी उसे सांत्वना देने वहां पहुंच गई और उसे उसकी भूल का आहसास दिलाया। इसके साथ ही, उन्होंने वीरवती को करवाचौथ के साथ-साथ पूरे साल आने वाली चौथ के व्रत रखने की सलाह दी। वीरवती ने ऐसा ही किया और व्रत के पुण्य से उसकी पति को फिर से जीवनदान मिल गया।