भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास कितना सोना है, इसका खुलासा केंद्र सरकार ने किया। केंद्र ने बताया कि आरबीआई में पिछले 20 सालों में कुल गोल्ड रिजर्व 12 गुना ज्यादा बढ़ा है। दरअसल, केंद्र सरकार फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व के तौर पर गोल्ड रिजर्व रखती है। इसकी देखरेख और प्रबंधन आदि का आरबीआई का होता है। गौरतलब है कि राज्य सभा में सरकार से गोल्ड रिजर्व को लेकर कई सवाल किए गए। सांसद अनिल देसाई ने पूछा कि क्या किसी तरह की आपातकाल स्थिति के लिए आरबीआई ने गोल्ड रिजर्व रखा है?
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यही नहीं अनिल देसाई ने अपने सवाल में सरकार से ये भी पूछा कि अगर ऐसा है तो साल 2001 से 2014 और 2014 से 2020 के दौरान आरबीआई के पास कितना सोना है? क्या कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है, जब सरकार को यह सोना गिरवी रखकर लोन लेना पड़ा है? इन सवालों का जवाब वित्त मंत्रालय ने आंकड़ों के साथ दिया। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व के तौर पर आरबीआई गोल्ड रिजर्व रखता है। इससे सेफ्टी और लिक्विडिटी भी मिलती है। गोल्ड रिजर्व के लिए इससे मिलने वाले रिटर्न का भी ख्याल रखा जाता है।
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वित्त मंत्रालय की ओर से पकंज चौधरी ने बताया कि जुलाई 1991 में आरबीआई ने बैंक ऑफ जापान और बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास 46.91 टन सोना गिरवरी रखकर 405 मिलियन डॉलर का लोन लिया था। सितंबर से नवंबर 1991 के बीच इस लोन का रिपेमेंट भी किया जा चुका है। इसके साथ ही आरबीआई के पास गोल्ड रिजर्व की जानकारी भी दी।
साल 2000-2001 में कुल गोल्ड रिजर्व 2,725 मिलियन डॉलर था।
साल 2013-2014 में बढ़कर 21,567 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया था।
साल 2014-2015 से लेकर 2019-2020 तक ये कुल गोल्ड रिजर्व 33,880 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया।
इस तरह 20 सालों में भारत का कुल गोल्ड रिजर्व 12 गुना से ज्यादा बढ़ चुका है।