कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचाई हुई है। इस वक्त भारत में इसकी दूसरी लहर बेकाबू है। पहली लहर में जहां कोरोना मरीजों को शर्दी, खांसी, जुकाम जैसे लक्षण थे तो वहीं, दूसरी लहर बिल्कुल अलग लक्षण हैं। कोरोना की दूसरी लहर से यह संकेत भी मिले हैं कि वायरस न केवल फेफड़ों पर हमला करता है, बल्कि इसके हमले से शरीर के कई अन्य अंग भी प्रभावित होते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे-जैसे शरीर पर कोरोना वायरस का हमला बढ़ता है वैसे-वैसे ये शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करने लगता है और शरीर के अन्य अंगों पर हमला करने लगता है।
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शरीर में कई जगह आ रहे हैं सूजन
कोरोना वायरस शरीर के दूसरे अंगों में भी सूजन पैदा कर रहा है। अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज, हाइपरटेंशन या मोटापे की समस्या है तो फिर कोरोना का शरीर पर असर कहीं गहरा होता है। इस दौरान अगर आपको शरीर में कुछ भी दिक्कत हो तो इसे नजरअंदाज न करे।
दिल पर कोरोना करता है ज्यादा हमला
जिन्हें पहले से ही दिल की बीमारी है या फिर जिनका मोटाबोलिक सिस्टम खराब है उन लोगों के कोरोना के चपेट में आने का खतरा ज्यादा रहता है। सार्स-कोव-2 वायरस कोरोना मरीजों के दिल की मांसपेशियों में सूजन बढ़ा देता है। कोरोना पर नजर रखने वाले डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना के लगभग एक चौथाई मरीज, जिन्हें गंभीर लक्षण के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
न्यूरोलॉजिकल की भी समस्या
कोरोना मरीजों में इस बार सिर दर्द, चक्कर आना, धुंधला दिखाई देना जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं। जामा न्यूरोलॉजी में छपी एक स्टडी के मुताबिक, वुहान में अस्पताल में भर्ती 214 में से एक तिहाई कोरोना के मरीजों में न्यूरोलॉजिक लक्षण पाए गए थे। बताया जाता है कि कोरोना का ये असर काफी लंबे समय तक बना रहता है।
किडनी पर भी कर रहा घातक कोरोना हमला
कोरोना इसबार शरीर के अलग अलग हिंसो पर अटैक कर रहा है उसमें से एक किडनी भी है। दरअसल, कोरोना का असर अगर लंबे समय तक किसी के शरीर में रह जाए तो किडनी की समस्या बढ़ जाती है। यह कोशिकाओं पर बड़ा हमला करता है, जिसकी वजह से किडनी समेत कई अंगो की कोशिकाएं संक्रमित हो जाती हैं। वायरस किडनी में पहुंचने के बाद सूजन कर देता है जिसका असर किडनी के टिश्यू पर भी पड़ता है. इसकी वजह से यूरीन की मात्रा कम हो जाती है।
ब्लड क्लॉटिंग का भी बढ़ रहा है खतरा
इस बार कई मरीजों में कोरोना के लक्षण के दौरान सूजन पाया गया जिसकी वजह से कई लोगों में खून के थक्के बनने लगते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐस-2 रिसेप्टर्स से जुड़ने के बाद सार्स-कोव-2 वायरस रक्त वाहिकाओं पर दबाव डालता है। इसकी वजह से बनने वाला प्रोटीन ब्लड क्लॉटिंग बढ़ाता है। खून के थक्के बन जाने के कारण फेफड़ों पर सही मात्रा में खून नहीं पहुंच पाता और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।