कोरोना वायरस की दूसरी लहर हर किसी को अपने चपेट में ले रही है। अब ये कोरोना छत्तीसगढ़ के नक्सल कैंपों में भी जा पहुंचा है और कई नक्सलियों को अपना निशाना बनाया है। इस बात की जानकारी दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव ने दी। उन्होंने बताया कि दक्षिण बस्तर के जंगलों में फूड पॉइजनिंग और कोरोना इंफेक्शन से 10 से ज्यादा नक्सलियों की मौत हो गई है। जिनका कल यानी सोमवार को अंतिम संस्कार किया गया। ऐसे में नक्सलियों के बीच दहशत का माहौल है।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड के हिमालयों पर आज भी है हिममानव ?, हिमालयन एक्सप्लोरर देवांग थपलियाल ने किया हैरान करने वाला खुलासा
जानकारी के मुताबिक, करीब 400 नक्सली कोरोना वायरस की जकड़ में है। संक्रमण से बचाव के लिए नक्सलियों ने अपना आइसोलेशन सेंटर तैयार कर लिया है। जंगल झाड़ियों के बीच स्थित कैंपों के आसपास के घरों को आइसोलेशन सेंटर में बदल दिया गया है। इन सेंटरों में पर्याप्त मात्रा में दवाएं और बचाव के सभी जरूरी संसाधनों के इंतजाम किए गए है। नक्सलियों की पहली प्राथमिकता है कि वो कोरोना संक्रमण से बचे रहें। अगर वो अस्पताल में भर्ती होते है, तो ऐसे में उनकी पुलिस के हत्थे चढ़ने की संभावना बढ़ जाएगी।
पहले नक्सलियों के बीच एक थाली में खाना, एक दूसरे के कपड़े पहनना आम बात थी। अब खाने में अलग थाली, नहाने वाला साबुन और कपड़े भी अलग कर लिए है। इसके साथ ही पर्याप्त मात्रा में सैनिटाइजर और मास्क मंगाकर रखे गए है। कैंपों के आसपास वाले घरों में बने आइसोलेट सेंटर की सुरक्षा की जवाबदेही गांव के लोगों को दी गई है। लिहाजा अब तक सुरक्षा बलों की ओर से कहीं भी छापेमारी नहीं हो सकी है। सुरक्षा एजेंसियों के पास इस बात की पक्की सूचना है।
इसको लेकर दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि नक्सलियों ने 20 दिन पहले सुकमा और बीजापुर के जंगल के बीच में स्तिथ इलाके में मीटिंग की। इस मीटिंग में 500 से ज्यादा माओवादी शामिल हुए थे। कहा जा रहा है कि इन माओवादियों में से ही संक्रमण फैला है। वहीं बस्तर के आइजी सुंदरराज पी का कहना है कि नक्सलियों का उपचार कराने के लिए सरकार डॉक्टर नहीं भेज सकती, क्योंकि वो बंदूक लेकर सरकार से लड़ रहे है। अगर वो सरेंडर करेंगे तो उपचार हो जाएगा। पुलिस घायल नक्सलियों का भी उपचार कराती है।