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Sonia Gandhi के बस में नहीं कांग्रेस के नेता! गुलाम नबी आजाद ने ‘धर्मांतरण’ को बताया सही, कहा- यह एक अच्छा काम है

गुलाम नबी आजाद ने 'धर्मांतरण' को बताया सही

कांग्रेस के नेता इन दिनों सोनिया गांधी के बास में नहीं हैं। ऐसा लगता है कि सोनिया गांधी के हाथ से नेताओं की डोर छूटती जा रही है। क्योंकि आए दिन कांग्रेस का कोई न कोई नेता ऐसा विवादित बयान देता है जो न सिर्फ पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी होती है बल्कि देश के लोगों को भी आहत पहुंचाती है। अब कांग्रेस वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने धर्मांतरण (Ghulam Nabi Azad on Conversion) को सही ठहराया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि, यह एक अच्छा काम है और वो व्यक्ति का चरित्र है, जो लोगों को प्रभावित कर रहा है।

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गुलाम नबी आजाद ने शनिवार को धर्मांतरण को लेकर हुए विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा करने वाला या कराने वाला दोनों ही गलत नहीं होते। उन्होंने कहा कि अगर कोई लोगों का धर्म परिवर्तन कर रहा है तो वह तलवार का इस्तेमाल नहीं कर रहा, जो आजकल प्रचलन में नहीं है। इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि लोग प्रभावित होकर अपना धर्म बदलवाते हैं ना कि किसी डर से ऐसा करते हैं। जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले में क्रिसमस कार्यक्रम में ईसाई समुदाय के साथ शरीक हुए आजाद ने कहा, लोग तब धर्म परिवर्तन कराते हैं, जब वे किसी विशेष धर्म को मानवता की सेवा करते हुए देखते हैं, सबको साथ लेकर चलते हुए और भेदभाव नहीं करते हुए देखते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर तत्कालीन 'महाराजा' (पूर्व डोगरा शासकों) के तहत वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था की तुलना में बेहतर था।

 

कांग्रेस नेता ने स्थानीय निवासियों के जमीन से जुड़े सुरक्षा उपायों, नौकरियों और दरबार मूव प्रथा के समाप्त होने का जिक्र करते कहा, एक महाराजा, जिसको हम तानाशाह कहते थे, साक्षी राज कहते थे, या स्वेच्छाचारी शासक (अपनी इच्छा से) कहते थे, वो आज के वक्त से ज्यादा अच्छा सोचते थे लोगों की भलाई के लिए। आज की सरकार ने तो तीनों चीजें ले लीं। दरअसल इसी साल जून महीने में जम्मू कश्मीर में प्रशासनिक सुधारों की कड़ी में 149 साल पुरानी दरबार मूव प्रथा खत्म की गई है।

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दरबार मूव का मतलब है कि मौसम के साथ हर छह महीने में जम्मू कश्मीर की राजधानी बदल जाती है। छह महीने राजधानी श्रीनगर में होती है और बाकी के छह महीने जम्मू में। ऐसी स्थिति में आवश्यक कार्यालय, सचिवालय का भी पूरा इंतजाम जम्मू से श्रीनगर और श्रीनगर से जम्मू तक ले जाया जाता है। जिससे काफी पैसा भी खर्च हो जाता है। इसी प्रथा को दरबार मूव के नाम से जाना जाता है। और ये परंपरा 1862 में डोगर शासक गुलाब सिंह ने शुरू की थी। जो महाराजा हरि सिंह के पूर्वज थे।