Hindi News

indianarrative

कुन्नूर हादसे में एकमात्र जिंदा बचे कैप्टन वरुण सिंह का लेटर हो रहा वायरल, जाहिर की थी अपने दिल की बात

courtesy google

तमिलनाडु के कुन्नूर में सीडीएस बिपिन रावत का हेलीकॉप्टर Mi-17V5 क्रैश हो गया। इस हादसे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। इस हादसे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत 13 जांबांज की मौत हो गई। हेलीकॉप्टर में 14 लोग सवार थे। इन 14 लोगों में से एक ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ही जीवित हैं, जिनका अस्पताल में इलाज किया जा रहा है और देश उनकी सलामती की दुआ मांग रहा है। इस बीच उनकी लिखी एक चिट्ठी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। ये चिट्ठी कैप्टन वरुण सिंह ने 18 सितंबर 2021 को आर्मी पब्लिक स्कूल चंडी मंदिर की प्रिंसिपल को एक चिट्ठी लिखी थी।

यह भी पढ़ें- सात फेरे लेते समय भावुक हुई कैटरीना कैफ तो विक्की कौशल ने थाम लिया हाथ, जानें हनीमून का प्लान

इस आर्मी स्कूल के कैप्‍टन वरूण सिंह छात्र रह चुके है। इस चिट्ठी में उन्‍होंने अपने स्‍कूल के उन बच्‍चों को भी संबोधित किया था, जो पढ़ाई में औसत हैं। ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह इस चिट्टी में लिखा- 'पढ़ाई में औसत दर्जे का होना ठीक है। हर कोई स्कूल में उत्कृष्ट नहीं हो सकता है और ना ही हर कोई 90% ला सकता है। अगर आप ये उपलब्धियां पाते हैं तो यह अच्‍छी बात है और इसकी सराहना भी की जानी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं होता है तो भी यह मत सोचिए कि आप औसत दर्जे के हैं। क्‍योंकि स्कूल में औसत दर्जे का होना जिंदगी में आने वाली चीजों का सामना करने के लिए कोई पैमाना नहीं है।'

यह भी पढ़ें- देश के वीरों को विदाई, ​आंसू छलके… जनरल रावत की ​बेटियों ने थामा एक दूसरे का हाथ, तस्वीरें देख नम हो जाएंगी आंखें

कैप्‍टन सिंह ने चिट्ठी में बताया कि उनमें भी कॉन्फिडेंस कम था। उन्होंने लिखा- 'जब मैं एक फाइटर स्क्वाड्रन में एक युवा फ्लाइट लेफ्टिनेंट के तौर पर कमीशन हुआ तब मुझे एहसास हुआ कि यदि मैं इसमें अपना दिमाग और दिल लगा दूं तो मैं बहुत अच्छा कर सकता हूं। उसी दिन मैंने सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए काम करना शुरू कर दिया। जबकि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में एक कैडेट के रूप में मैंने पढ़ाई या खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं किया था। लेकिन बाद में विमानों के प्रति मेरा जुनून बढ़ता गया और मैं बेहतर करता गया। फिर भी, मुझे अपनी वास्तविक क्षमताओं पर भरोसा नहीं था।' इस पत्र में कैप्‍टन सिंह ने शौर्य चक्र मिलने का श्रेय भी स्कूल को दिया।