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मोटरबोट में खराबी,हिमाचल जलाशय में फंसे वन अधिकारी, NDRF ने सबको बचाया

जलाशय में फंसे लोगों को बचाने में जुटे एनडीआरएफ के जवान

आशुतोष कुमार

NDRF: एक साहसी मिशन में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमों ने 10 लोगों को बचा लिया है, जिनमें से पांच वन विभाग के अधिकारी थे, जो रविवार को भारी बारिश के बाद जल स्तर में अचानक वृद्धि और तेज़ धाराओं के कारण कोल बांध जलाशय में फंस गये थे।

राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) अभिषेक त्रिवेदी ने कहा कि बचाव अभियान सोमवार सुबह 3 बजे समाप्त हुआ और NDRF ने सभी लोगों को सुरक्षित बचा लिया।

त्रिवेदी ने कहा,“वन अधिकारी उस लकड़ी का जायजा लेने के लिए नाव में जलाशय में दाखिल हुए थे जो अचानक आई बाढ़ के कारण जलाशय क्षेत्र में आ गई थी। उनके पास स्पष्ट रूप से उन कुछ लोगों के बारे में रिपोर्ट थी, जो वन संपत्ति की तस्करी करने की कोशिश कर रहे थे।”

हालांकि, जल स्तर में अचानक वृद्धि के कारण उनकी मोटरबोट तेज़ पानी की धाराओं से निपटने में असमर्थ थी और इसमें कुछ रुकावटें भी आ गईं, जिससे टीम के लिए किनारे पर लौटना असंभव हो गया।

गहरे पानी में नाव चलाने का टीम का संघर्ष विफल रहा, क्योंकि वह पानी के समुद्र में तैर रहे मलबे और लकड़ी के लट्ठों में भी फंस गई थी, जिससे उनकी जान को गंभीर ख़तरा हो गया।

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह वास्तव में अटूट बहादुरी का कार्य था, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) रात के अंधेरे से प्रभावित हुए बिना कार्रवाई में लग गया। लगभग पांच से छह घंटे की कार्रवाई से सभी 10 लोगों की जान बच गई।”

कोल बांध, बरमाणा के पास बिलासपुर और मंडी की ज़िला सीमाओं पर सतलुज नदी पर 800 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना, 2015 में राष्ट्रीय थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) द्वारा शुरू की गई थी।

इस बीच हिमाचल प्रदेश हाई अलर्ट पर बना हुआ है, क्योंकि मौसम कार्यालय ने अगले कुछ दिनों के लिए राज्य के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।

ऑरेंज अलर्ट “बेहद ख़राब” मौसम की चेतावनी के रूप में जारी किया जाता है, जिसमें सड़क और रेल बंद होने और बिजली आपूर्ति में रुकावट के साथ आवागमन में व्यवधान की संभावना होती है।

राज्य में मूसलाधार बारिश, बाढ़, बादल फटने और भूस्खलन के कारण अब तक 373 लोगों की जान जा चुकी है, जिससे सैकड़ों परिवार बेघर हो गए हैं।

राज्य सरकार ने 15 अगस्त तक 10,000 करोड़ रुपये तक की सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुक़सान का अनुमान लगाया है और केंद्र से उत्तराखंड और भुज त्रासदी की तर्ज पर अंतरिम राहत पैकेज प्रदान करने को कहा है।