प्याज अगर सब्जी में भून जाएं तो स्वाद बढ़ा देती हैं, अगर सलाह में शामिल हो जाएं तो सेहत बना देती हैं। हर मोर्चे पर काम आने वाली ये प्याज अब आपको रुलाने वाली हैं। सूत्रों की मानें तो प्याज की कीमतें अगले महीने बढ़ने वाली हैं। इसके पीछे का कारण बताया जा रहैं कि अनिश्चित मानसून के कारण प्याज की फसल में देरी हो सकती है। जिसके चलते अक्टूबर और नवंबर में प्याज महंगी हो सकती हैं। क्रिसिल रिसर्च की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि खरीफ फसल की आवक में देरी और चक्रवात तौकते के कारण बफर स्टॉक में रखे माल से कीमतों में वृद्धि की संभावना है।
प्याज के लिए नियोजित बफर स्टॉक का लगभग 90 प्रतिशत खरीद लिया गया है, जिसमें सबसे ज्यादा योगदान महाराष्ट्र (0.15 मिलियन टन) से आया है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने पारंपरिक रूप से गैर-प्याज उगाने वाले राज्यों राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश में खरीफ प्याज का रकबा 41,081 हेक्टेयर से बढ़ाकर 51,000 हेक्टेयर करने की सलाह दी है। क्रिसिल रिपोर्ट की मानें तो साल 2018 की तुलना में इस साल भी प्याज की कीमतों में 100 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हो सकती हैं।
महाराष्ट्र में फसल की रोपाई में आने वाली चुनौतियों के कारण खरीफ 2021 के लिए कीमतें 30 रुपये प्रति किलोग्राम को पार करने की उम्मीद है। बारिश की कमी के कारण फसल की आवक में देरी के बाद अक्टूबर-नवंबर के दौरान प्याज की कीमतों के आसमान छू सकती हैं। उम्मीद है कि खरीफ 2021 का उत्पादन साल-दर-साल तीन प्रतिशत बढ़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल इसी त्योहारी सीजन में, प्याज की कीमतें 2018 के सामान्य वर्ष की तुलना में दोगुनी हो गई थीं, जो मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में खरीफ फसल को नुकसान पहुंचाने वाले भारी और अनिश्चित मानसून की वजह से आपूर्ति में व्यवधान के कारण हुआ था।
अक्टूबर-नवंबर तक बाजार में खरीफ प्याज की आवक में 2-3 हफ्ते की देरी होने की उम्मीद है, इसलिए कीमतों में तब तक बढ़ोतरी की संभावना है। सरकार ने प्याज की कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं, जिसमें वित्तवर्ष 2022 के लिए प्याज के लिए निर्धारित दो लाख टन का बफर स्टॉक शामिल है।