दिल्ली में कोरोना महामारी ने विकराल रूप धारण कर रखा है। ऑक्सीजन के अभाव में हाहाकार हो रहा है, लेकिन कुछ बड़े ऑक्सीजन सप्लायर्स ऑक्सीजन का स्टोरेज करके बैठे हैं और अस्पतालों को सप्लाई नहीं कर रहे हैं। ये सप्लायर्स ऑक्सीजन की वास्तविक कीमत से कई गुना ज्यादा दामों पर ऑक्सीजन दे रहे हैं। कुछ सप्लायर्स को दिल्ली सरकार का प्रश्रय मिला हुआ है। दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑक्सीजन की सप्लाई पर सुनवाई शुरू की और सप्लायर्स को तलब किया तो कई सप्लायर्स आए ही नहीं।
इसे भी देखेंः यूपी में हालात के लिए जिम्मेदार डीएम एसपी
कुछ बड़े सप्लायर्स तो ऐसे भी थे कि उनका नाम दिल्ली सरकार की सूची में भी नहीं था। यह सब देखकर दिल्ली हाईकोर्ट का माथा ठनका। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा दिल्ली सरकार की सूची में 20 टन ऑक्सीजन रखने वाले सप्लायर का नाम नहीं है को कुछ बड़ी गड़बड़ी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार की न केवल चोरी पकड़ी बल्कि जमकर डांट पिलाई और तरुण सेठ नाम के सप्लायर और उन सभी सप्लायर के यूनिट टेक ओवर करने के आदेश दिए जो आज की सुनवाई में शामिल नहीं हुए थे।
दिल्ली में ऑक्सीजन का अभाव आर्टिफीशियली क्रिएट किया गया? क्या इस अभाव के पीछे ब्लैकमार्केटियर और जमाखोर खेल खेलते, क्या इन जमाखोरों के साथ दिल्ली की केजरीवाल सरकार मिली हुई है? इन जैसे तमाम सवाल जांच के दायरे में आ सकते हैं लेकिन हाईकोर्ट की पहली प्राथमिकता दिल्ली में ऑक्सीजन का आवंटन सुचारू करना है। दिल्ली हाईकोर्ट में की सुनवाई के दौरान जो बातें सामने आई हैं वो बहुत गंभीर और शर्मनाक हैं। इससे बड़ी क्या बात हो सकती है कि दिल्ली सरकार को कहना पड़ा कि आप व्यवस्था नहीं कर सकते तो केंद्र सरकार को लगाते हैं।