हिंदू पंचाग के मुताबिक, मंगलवार को जब सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते है, तब भौमावस्या का योग बनता है। वैशाख महीने की अमावस्या पर आज ये संयोग बन रहा है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा एकसाथ भरणी नक्षत्र में है। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। आज के दिन पितरों के लिए किए गए श्राद्ध और पूजा से सुख-समृद्धि बढ़ेगी। अमावस्या पर पितरों के लिए विशेष पूजा कराएं। ऐसे करने से परिवार के रोग, शोक और दोष खत्म हो जाते है।
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भौमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान करने का विशेष महत्व बताया है। इस दिन दान करना सबसे अच्छा माना गया है। देव ऋषि व्यास ने ग्रंथों में कहा है कि इस तिथि में स्नान और दान करने से हजार गायों के दान का पुण्य फल मिलता है। भौमवती अमावस्या पर हरिद्वार, काशी जैसे तीर्थ स्थलों और पवित्र नदियों पर स्नान करने का विशेष महत्व होता है, लेकिन महामारी या देश-काल और परिस्थितियों के अनुसार इस दिन घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से भी इसका पुण्य प्राप्त होता है।
सूर्योदय से लेकर दोपहर करीब 2.50 तक की अवधि में अमावस्या तिथि के दौरान स्नान और दान करने का खास महत्व है। साथ ही इस समय में पितरों के लिए श्राद्ध करना चाहिए। जिससे पितृ पूरी तरह संतुष्ट हो जाते है। जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाना चाहिए। साथ ही जलदान भी करना चाहिए। ऐसा करने से स्वर्ण दान करने जितना पुण्य मिलता है। इसके साथ ही वैशाख महीने की अमावस्या पर पितरों के लिए एक लोटे में पानी, कच्चा दूध और उसमें तिल मिलाकर पीपल पर चढ़ाना चाहिए और दीपक लगाना चाहिए। इससे पितृ संतुष्ट होते है।