सातवें वेतन आयोग के बाद अब मोदी सरकार न्यू वेज कोड के नियमों में बदलाव करने में जुट गई है। नए वेज कोड में आपकी सैलरी के बढ़ने की बात कही जा रही है। बताया जा रहा है कि नए वेज कोड के लागू होते ही आपकी सैलरी बढ़ जाएगी। लेकिन यहां वेज कोड से आपकी टेक होम सैलरी घटेगी और टैक्स का बोझ आपके ऊपर बढ़ जाएगा। दरइसल, कर्मचारियों की सैलरी में तीन से चार कंपोनेंट होते हैं। बेसिक सैलरी, हाउस रेंट अलाउंस, पीएफ, ग्रेच्युटी और पेंशन, एलटीए और एंटरटेनमेंट अलाउंस।
नए वेज कोड में ये तय हुआ है कि भत्ते कुल सैलरी से किसी भी कीमत पर 50 परसेंट से ज्यादा नहीं हो सकते। ऐसे में मान लीजिए कि आपकी सैलरी 50,000 रुपये प्रति महीना है। तो आपकी बेसिक सैलरी 25,000 रुपये होनी चाहिए और बाकी के 25,000 रुपये में आपके भत्ते आने चाहिए, यानी अभी तक जो कंपनियां बेसिक सैलरी को 25-30 परसेंट रखती थीं, और बाकी का हिस्सा अलाउंस का होता था। वो अब बेसिक सैलरी को 50 प्रतिशत से कम नहीं रख सकती हैं।
ऐसे में कंपनियों को नए वेज कोड के नियमों को लागू करने के लिए कई भत्तों में कटौती भी करनी पड़ेगी। पीएफ और ग्रेच्युटी सीधे तौर पर कर्मचारी की बेसिक सैलरी से जुड़े होते हैं। ऐसे में जब बेसिक सैलरी बढ़ेगी, तो इन दोनों का एक बड़ा हिस्सा भी जाएगा और आपके हाथ में आने वाली सैलरी घट जाएगी। उदाहरण के तौर पर किसी कर्मचारी की सैलरी 1 लाख रुपये है। उसकी बेसिक सैलरी 30,000 रुपये है। कर्मचारी और कंपनी दोनों ही 12-12 परसेंट का योगदान पीएफ में करते हैं, यानी दोनों ही 3600 रुपये का योगदान करते हैं।
कर्मचारी की इन हैंड सैलरी हुई 92800 रुपये मंथली, लेकिन जब बेसिक सैलरी बढ़कर 50,000 रुपये हो जाएगी। तब इन हैंड सैलरी हो जाएगी 88000 रुपये, यानी पूरे 4800 रुपये हर महीने कम हो जाएंगे। इसी तरह से ग्रेच्युटी की रकम में तो इजाफा होगा। इतना ही नहीं, नया वेज कोड लागू होने के बाद कर्मचारियों का सैलरी स्ट्रक्चर बदल जाएगा। इससे उन कर्मचारियों की टैक्स देनदारी ज्यादा हो जाएगा जिनकी सैलरी ज्यादा है, क्योंकि उनके सारे भत्तों को सीटीसी के 50 परसेंट के अंदर ही समेटना होगा, जबकि लोअर इनकम वालों को टैक्स की मार कम पड़ेगी।