पितृपक्ष का समापन 6 अक्टूबर को हो रहा हैं। आखिरी दिन सर्व पितृ अमावस्या होता हैं। अश्विन मास की अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या कहते हैं।हिंदू धर्म में सर्व पितृ अमावस्या का खास महत्व होता हैं। इसे पितृ विसर्जन अमावस्या भी भी कहा जाता है। इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी तिथि परिजनों को पता नहीं होती। इस बार सर्व पितृ अमावस्या पर गजछाया योग बन रहा है। मान्यता हैं कि गजछाया योग में पितरों का श्राद्ध करने से पितर अगले 12 सालों तक तृप्त हो जाते हैं। इसके अलावा गरीबों और जरुरतमंदों को दान देने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।
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सर्व पितृ अमावस्या का इस तरह करें श्राद्ध
सुबह उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहने और पितरों के लिए भोजन तैयार करें
हिंदू ग्रंथ के मुताबिक, पितरों के लिए बनाए गए भोजन में से पंचबली गाय, कुत्ता, कौवा, चीटी और देवों को भोग लगाए।
इसके बाद ही इस भोजन में ब्राह्मण को भोजन कराएं।
ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद उन्हें दान आदि देकर सम्मान के साथ विदा करे। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं।
ब्राह्मणों को दान देने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सूरज ढलने पर दो, पांच या सोलह दीप जलाएं।
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सर्व पितृ अमावस्या पर ये काम कनरे से पितरों को मिलती है खुशी
सर्व पितृ अमावस्या के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद ही पितरों का श्राद्ध करें। इस दिन ब्राह्मण को घर बुलाकर भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर विदा करें। श्राद्ध का भोजन गाय, कुत्ते और कौवों को भी कराना चाहिए। कहते हैं सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए गरीबों को भोजन कराएं। ऐसा करने से माना जाता है कि घर की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। मान्यता है कि अमावस्या के दिन घर के ईशान कोण में ही पूजा करनी चाहिए। पूजा में गाय के घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से आपकी सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी।