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Kabul Airport Attack: का मास्टर माइंड IS (K) या Taliban या कोई और, काबुल ब्लास्ट के रहस्यों से पर्दा हटाती Exclusive Report

Kabul Airport Attack

'26 अगस्त की शाम काबुल एयरपोर्ट पर हमले के तौर तरीके 1 मई को लोगार प्रांत के पुल-ए-आलम में हुए खुदकश कार हमले से सटीक मिलते हैं। लोगार में हुए हमले में 30 से ज्यादा लोग मारे गए थे। वो हमला किसने करवाया था। तालीबान ने या आईएस (के) ने ? अगर आईएस (के) ने वो हमला करवाया था तो क्या तालिबान ने हमले की मजामत की थी?' क्या लोगार के पुल-ए-आलम  ब्लास्ट के पीछे पाकिस्तानी  हाथ तो काबुल ब्लास्ट के पीछे कौन? अफगान सरकार के उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने इस ब्लास्ट में पाकिस्तान  पर लगाया है?

काबुल एयरपोर्ट पर कल शाम हुए तिहरे सुसाइड अटैक के पीछे कौन-कौन है, ये तो कुछ समय बाद चलेगा लेकिन इससे पहले अफगानिस्तान खास तौर पर काबुल में क्या हो रहा था, उस पर निगाह डालने की जरूरत है- काबुल की गलियों में आईएसआई ने कुछ पर्चे चिपकाए थे। इन पर्चों की कहानी में तालिबान और नाटो आर्मी से बदले के संकेत थे। काबुल में तालिबान आम आदमी को मारता-पीटता या जान लेता भले ही दिखाई देता है लेकिन वो आईएसआईएस के सामने बौना है।

कथित तौर पर ये खुदकश हमले आईएस (के) यानी इस्लामिक स्टेट खुरासान ने किए हैं।आईएस ने हमलावर की फोटो भी जारी कर दी है। हमलावर का नाम अब्दुल रहमान लोगारी बताया है। काबुल या अफगानिस्तान में कहीं भी ऐसे हमलों की जिम्मेदारी आईएस (के) पर डालना या आईएस (के) का खुद कबूल करना बहुत मामूली और सामान्य बात है। इसके पीछे भी दो कारण हैं- पहला इतने बड़े हमले की जिम्मेदारी लेने से आईएस (के) का कद इराक में सक्रिए आईएस के बराबर हो जाता है, और दूसरा कारण यह कि हमलावर आतंकी आईएस (के) नाम सामने आ जाने से तालिबान पाक साफ हो गया, लेकिन ध्यान रहे जिस जगह पर खुदकश हमला हुआ उसकी सिक्योरिटी हक्कानी गुट के पास थी!

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काबुल में चल रही तमाम गतिविधियों के बीच कुछ ऐसी हरकतें हो रही हैं जिन का विश्लेषण करने से शक होता है कि क्या एयरपोर्ट हमला किया वास्तव में अकेले आईएस (के) का ही कारनामा है। क्योंकि आईएस (के) के लड़ाके भी तालिबान के अपने ही भाई-ब्रादर हैं। इनमें ज्यादातर तो वो हैं जो तालिबान के गुटों से नाराज या अपमानित होकर आईएस (के) में शामिल हुए हैं। तालिबान का एक गुट आईएस (के) को अब अपना दुश्मन मानता है तो तालिबान में बहुत से ऐसे लोग हैं जो काबुल पर कब्जे से पहले अशरफ गनी सरकार और नाटो सेनाओं के खिलाफ तालिबान का इस्तेमाल करते रहे हैं।

तालिबान में इस सयम सबसे ज्यादा ताकतवर दिखने वाला मुल्ला ब्रादर गुट अशरफ गनी सरकार के नेताओं और सेना के बड़े अफसरों को घूस देकर, खरीद कर, झूठ बोलकर और आम अफगानियों पर जुल्म ढाकर-बंदूक दिखाकर काबुल पर काबिज हुआ है। मुल्ला ब्रादर के पीछे कौन-कौन है या कौन-कौन था, यह कहानी सब जानते और अच्छी तरह समझते ही हैं। तालिबान और आईएस (के) को अफगानिस्तान में किसने खड़ा किया, कैसे खड़ा किया और कहां शरण दी, इन सब सवालों को एक ही जवाब है ‘पाकिस्तान’! दोनों आतंकी गुटों का एक ही आका या मेंटर है।

ध्यान रहे, अमेरिका ने भी काबुल के खुदकश हमलों के लिए प्रथम दृष्टया आईएस (के) को ही जिम्मेदार माना है, लेकिन तालिबान को क्लीन चिट नहीं दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि अभी तक मिली जानकारियों के मुताबिक इन हमलों में तालिबान और आईएस (के) की सांठ-गांठ के सबूत नहीं मिले हैं। मतलब ये कि इन हमलों के पीछे तालिबान की सांठ-गांठ से इंकार नहीं किया है!  बाइडेन ने यह जरूर कहा है कि 13 अमेरिकी सैनिकों सहित मारे गए सभी निर्दोषों के कातिलों को ढूंढ कर मारेंगे।

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काबुल धमाके आईएस (के) की ही हरकत है, इस तथ्य को साबित करने वालों के पास एक मजबूत सबूत हो सकता है। वो यह कि आईएस (के) ने अपने नेता उमर खुरासान की हत्या का बदला काबुल धमाकों से ले लिया। अफगानिस्तान पर कब्जे के साथ ही तालिबान ने जेलो में बंद कैदियों के साथ ही सभी गुटों को आतंकियों को भी रिहा किया था। इन आतंकियों में तालिबान के अपने गुटों के साथी, टीटीपी के आतंकी और आईएस (के) आतंकी भी शामिल थे। ऐसा कहा जाता है कि तालिबान उमर खुरासान को रिहा करने से पहले समझौता चाहता था। उमर खुरासान ने इंकार कर दिया तो तालिबान ने उमर खुरासान को रिहा करने से पहले ही हत्या कर दी। उमर खुरासान की हत्या के बादसे ही आईएस (के) की तरफ से तालिबान के खिलाफ बयान शुरू हो गए थे।

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लाख टके के तीन सवाल- पहला, तालीबान की आईएस (के) और टीटीपी से सांठ-गांठ नहीं है तो फिर तालीबान ने सभी आतंकियों को अफगान जेलों से रिहा क्यों कर दिया? दूसरा सवाल, दुनिया के दूसरे सबसे खतरनाक आतंकी (अब तालीबान सरकार का हिस्सा) हक्कानी गुट की तैनाती के बावजूद खुदकश आईएस (के) का हमलावर अमेरिकी सैनिकों के नजदीक कैसे पहुंच गया? तीसरा सवाल, काबुल एयरपोर्ट पर खुदकश हमले में अमेरिकी सैनिक मारे गए, अफगान नागरिक मारे गए लेकिन हक्कानी या तालीबान के लड़ाके जख्मी तक नहीं हुए? 

सोचने वाली बात तो यह भी है कि अफगान तालिबान ने काबुल एयरपोर्ट ब्लास्ट से पहले हामिद करजई और अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह को हाउस अरैस्ट क्यों किया? ताालिबान ने इन दोनों नेताओं के फोन कनेक्शन क्यों काट दिए थे?  क्या इन दोनों को इस ब्लास्ट के बारे में जानकारी मिल चुकी थी। अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्लाह सालेह ने काबुल ब्लास्ट का  सीधा आरोप पाकिस्तान पर लगाया है!