मैदान कोई भी युद्ध का या खेल का पाकिस्तान को पटक कर जीत हासिल करना हिंदुस्तानियों का शगल रहा है। ऐसी जीत हर भारतवासी में जोश भर देती है। ऐसा ही कमाल दीपक पूनिया ने कॉमनवेल्थ खेलों में किया। 86 किलोग्राम वजन की कुश्ती में पाकिस्तान के पहलवान इमाम बट्ट को ऐसी पटखनी दी कि वो उठ ही नहीं सका। पूनिया ने पाकिस्तानी पहलवान को पटक कर सोना जीत लिया। दीपक पूनिया के इस गोल्ड मैडल से पूरे भारतीय दल में खुशी की लहर फैल गई। स्टैंड में बैठे भारतीय प्रशंसक भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाने लगे। दीपक के गोल्ड के साथ भारत के कुल 9 गोल्ड मैडल हो चुके हैं और अब भारत मेडल टैली के 5वें पायदान पर आ गया है।
दीपक पुनिया का जन्म हरियाणा के झज्जर क्षेत्र में हुआ। झज्जर गांव में कुश्ती हमेशा लोगों के लिए एक विकल्प है। दीपक के पिता सुभाष पुनिया एक डेयरी किसान हैं जो युवा दीपक को दंगल पर ले जाते थे। दीपक ने अपने कुश्ती करियर की शुरुआत पांच साल की उम्र में अपने गृहनगर अर्जुन अवार्डी वीरेंद्र सिंह छारा के नेतृत्व वाले एक अखाड़े में की थी। साल 2015 में छत्रसाल स्टेडियम के जाने-माने पहलवान के नेतृत्व में ट्रेनिंग शुरू करने के बाद उन्होंने सबसे पहले वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप का हिस्सा बनकर अपना हुनर दिखाया हालांकि सफलता नहीं मिली लेकिन फिर भी हार नहीं मानी।
इससे पहले बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक ने भी अपने प्रतिद्वंदियों को पटक कर सोने के मैडल उठाए। भारत के स्टार रेसलर बजरंग पूनिया ने 65किलोग्राम वर्ग में देश के लिए गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने कनाडा के लालकलन मैक्निल को 9-2से हराकर अपने नाम गोल्ड किया। यह उनका इन खेलों में लगातार दूसरा गोल्ड मेडल है। वहीं महिलाओं की 62किलोग्राम वर्ग में भारत की साक्षी मलिक ने गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने कनाडा की एमना गोडिनेज को पटखनी देकर गोल्ड पर कब्जा कर लिया।
उधर टेबल टेनिस में भारत की भविना पटेल पैरा टेबल टेनिस के फाइनल में पहुंच गई हैं। इसी के साथ भारत का एक और मेडल पक्का हो गया है। सेमीफाइनल में भाविना ने इंग्लैंड की सुई बेले को 11-6, 11-6, 11-6से हराया। वहीं मिक्स्ड डबल्स में मनिका बत्रा और साथियान की जोड़ी और शरत कमल और श्रीजा अकुला की जोड़ी क्वार्टर फाइनल में पहुंच गई। मनिका ने वीमंस सिंगल्स के ऑस्ट्रेलिया की मिंहयुंग जी को 4-0से हराकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया है।