टोक्यो पैरालंपिक में भारत ने कई मेडल अपने नाम किए। एक तरफ जहां शूटिंग में गोल्ड आया तो वहीं जेवलिन थ्रो और चक्का फेंक में सिल्वर मेडल भारत की झोली में आकर गिरा। इसी बीच टूर्नामेंट से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है। दरअसल, भारत के हाथ से एक ब्रॉन्ज छिन गया है। डिस्कस थ्रो में विनोद कुमार ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था, लेकिन उनका मेडल होल्ड पर रख दिया गया था और अब उन्हें विकार के क्लालिफिकेशन निरीक्षण में 'अयोग्य' करार दिया गया।
Tokyo Paralympics Technical Delegates decide Vinod Kumar is not eligible for Discus F52 class, his result in the competition is void and he loses the bronze medal pic.twitter.com/m5zzaaINZX
— ANI (@ANI) August 30, 2021
इसके बाद पुरुषों की एफ52 डिस्कस थ्रो का मेडल गंवा दिया। विनोद ने F-52 इवेंट के फाइनल में 19.91 मीटर का थ्रो किया। सिल्वर मेडल क्रोएशिया के वेलिमिर ने जीता जिन्होंने 19.98 मीटर थ्रो किया जबकि पोलैंड के पिओत्र ने 20.02 मीटर के साथ गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। विनोद के विकार के क्लासिफिकेशन पर विरोध जताया था, जिस वजह से उनका मेडल होल्ड पर रख दिया गया था।
Vinod Kumar wins bronze medal in Discus Throw F52 at Tokyo #Paralympics
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— ANI (@ANI) August 29, 2021
आपको बता दें कि एफ52 स्पर्धा में वे एथलीट हिस्सा लेते हैं जिनकी मांसपेशियों की क्षमता कमजोर होती हैं और उनके मूवमेंट सीमित होते हैं, हाथों में विकार होता है या पैर की लंबाई में अंतर होता है जिससे खिलाड़ी बैठकर प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेते हैं। रीढ़ की हड्डी में चोट वाले या ऐसे खिलाड़ी जिनका कोई अंग कटा हो, वे भी इसी वर्ग में हिस्सा लेते हैं। पैरा खिलाड़ियों को उनके विकार के आधार पर वर्गों में रखा जाता है। क्लासिफिकेशन प्रणाली में उन खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति मिलती है जिनका विकार एक सा होता है।