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America के ऐक्शन से बौखलाया ड्रैगन, बोला- हम नहीं डरते, युद्ध तो कर…

अमेरिका ने निकाली हेकड़ी तो बौखला गया चीन

चीन की अकड़ इन दिनों लगातार बढ़ती जा रही है, अपने आसपास के देशों की नाक में दम रखे ड्रैगन ताइवान को हड़पने की पूरी कोशिश में है। चीन के इस इरादे को लेकर अमेरिका का साफ कहना है कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो उसकी सुरक्षा अमेरिका करेगा। जिसे लेकर चीन बौखलाया हुआ है। इसके साथ ही चीन की बौखलाहट कई और मामलों को लेकर है, जिसके बाद वो अमेरिका को धमकी दे रहा है। चीन का कहना है कि दोनों देशों के बीच टकराव हुआ तो चीन अंत तक लड़ेगा।

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चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने सोमवार को कहा कि, चीन संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ टकराव से नहीं डरेगा, लेकिन अगर यह पारस्परिक रूप से लाभकारी है तो सहयोग का स्वागत करेगा। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक भाषण में उन्होंने कहा कि अमेरिका-चीन संबंधों में समस्याएं अमेरिकी पक्ष द्वारा लिए गए गलत राजनीतिक निर्णय के कारण हुई हैं।

अमेरिका का दबाव

अमेरिका ने चीन के ऊपर कोरोना महामारी की उत्पत्ति, व्यापार, मानवाधिकार और ताइवान को लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इस दाबव के बाद चीन बौखला गया है और उसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ को लेकर अपने तेवर दिखा रहा है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि, 'अगर दोनों देशों में टकराव होता है, तो चीन इससे नहीं डरेगा और अंत तक लड़ेगा।' वांग ने आगे कहा कि, प्रतिस्पर्धा में कोई नुकसान नहीं है लेकिन यह सकारात्मक होना चाहिए।

बता दें कि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने समकक्ष और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर पिछले महीने डीजिटल मुलाकात के बाद से ही दबाव बनाना शुरू कर दिया है। जिसके बाद जवाब में शी जिंगपिंग ने चेतावनी दी थी कि चीन ताइवान पर उकसावे को बर्दाश्त नहीं करेगा और जवाब देगा। दोनों शीर्ष नेताओं के बीच करीब तीन घंटे तक बात चली थी।

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इसके साथ ही गुरुवार को अमेरिकी सीनेट ने चीन के झिंजियांग क्षेत्र से आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून पारित किया है। अमेरिका का ऐक्शन चीन में जबरन श्रम, बीजिंग में उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यक पर अत्याचार के बाद लिया गया है। अब जाहिर सी बात है ड्रैगन ऐसे आरोपों को आसानी से मानने वाला नहीं है, तो इन आरोपों को भी चीन ने खारिज कर दिया है। लेकिन अब उसके तेवर ज्यादा दिन के लिए नहीं बचे हैं। क्योंकि, वो समय दूर नहीं है जब भारत, रूस, अमेरिका, जापान, फ्रांस सहीत बड़े देश चीन को लेकर कोई बड़ा कदम उठाएंगे।