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Tibet को लेकर PM Modi का बड़ा संकेत, HH Dalai Lama को भेजीं Birth Day Wishes, चीनी विरोध को किया दरकिनार

Dalai Lama को जन्मदिन पर PM Modi ने दी बधाई तो बौखला उठा China

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने 7 जुलाई का अपना 87वां जन्मदिन मनाया और इसपर उन्हें दुनिया भर से बधाईयां मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दलाई लामा को फोन पर बधाई दी। उन्होंने ट्वीट किया कि फोन पर दलाई लामा से बात कर उन्हें 87वें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। हम उनके लंबे जीवन और उथ्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं। इस बधाई के साथ ही प्रधानमंत्री ने तिब्बत को लेकर बड़ा संकेत दिया कि, वो हमेसा उसके साथ खड़े हैं। यह चीन के लिए बड़ा झटका है। क्योंकि, तिब्बत को लेकर भारत के रुख का चीन लगातार विरोध करता रहा है। चीन को अच्छे से पता है कि तिब्बत के साथ भारत खड़ा है। इसके साथ ही पीछले साल भी जब पीएम मोदी ने दलाई लामा को बर्थडे विश किया था तब भी चीन को करारी मिर्ची लगी थी। इस बार भी चीन को पीएम मोदी द्वारा दलाई लामा को दिया गया बर्थडे विश रास नहीं आया और कहा है कि, भारत को निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता के अलगाववादी स्वभाव को पूरी तरह से समझना चाहिए और चीन के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने के लिए तिब्बत से संबंधित मुद्दों का इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए।

दलाई लामा के अनुयायियों ने धर्मशाला में उनका जन्मदिन मनाया जहां दलाई लामा 1959 से रहते हैं। पीएम मोदी से बधाई संदेश पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा है कि, भारतीय पक्ष को 14वें दलाई लामा के चीन विरोधी अलगाववादी स्वभाव को पूरी तरह से पहचानना चाहिए। चीन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का पालन करना चाहिए, समझदारी से बोलना और कार्य करना चाहिए तथा चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए तिब्बत से संबंधित मुद्दों का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। तिब्बत से जुड़े मामले चीन के आंतरिक मामले हैं और इसमें किसी भी बाहरी ताकत का दखल नहीं होना चाहिए। चीन विदेशी अधिकारियों और दलाई लामा के बीच सभी तरह के संपर्क का कड़ा विरोध करता है।

भारत ने दिया जवाब

चीन के आलोचना को खारिज करते हुए भारत ने करारा जवाब दिया है। भारत ने कहा कि, सरकार की नीति भारत में दलाई लामा को हमेशा सम्मानित अतिथि के रूप में देखने की रही है और इसे समग्र संदर्भ में देखा जाना चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि, दलाई लामा भारत में सम्मानित अतिथि और धार्मिक नेता हैं जिन्हें धार्मिक एवं आध्यात्मिक कार्यों को करने के लिये उचित शिष्टाचार एवं स्वतंत्रता प्रदान की गई है। इनके बड़ी संख्या में अनुयायी हैं। उन्होंने कहा कि दलाई लामा का जन्मदिन भारत और दुनियाभर में उनके अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दलाई लामा को जन्मदिन की शुभकामना देने को समग्र संदर्भ में देखा जाना चाहिए।

भारत के साथ अमेरिका की भी बधाई से चीन बौखलाया

चीन वैसे भी कुछ भी बोलने में माहिर है। वो दलाई लामा पर अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाता रहा है। जिसपर तिब्बती आध्यात्मिक नेता का कहना है कि, वह आजादी नहीं बल्कि मध्य-मार्गी दृष्टिकोण के तहत तिब्बत के तीन पारंपरिक प्रांतों में रहने वाले सभी तिब्बतियों के लिए वास्तविक स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं। झाओ ने दलाई लामा को बधाई देने के लिए सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि, अमेरिकी की भी आलोचना की है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपने संदेश में कहा कि अमेरिका तिब्बती समुदाय की विशिष्ट भाषाई, धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने के प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेगा, जिसमें स्वतंत्र रूप से अपने धार्मिक नेताओं को चुनने की उनकी क्षमता भी शामिल है। ब्लिंकन की आलोचना करते हुए झाओ ने कहा कि तिब्बत के मामले चीन के आंतरिक मामले हैं, जिसमें कोई विदेशी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। चीन 14वें दलाई लामा के साथ किसी भी देश के किसी भी जुड़ाव के खिलाफ है।

चीनी प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि, दलाई लामा धार्मिक व्यक्ति के वेश में राजनीतिक निर्वासित शख्स हैं जो लंबे समय से चीन विरोधी अलगाववादी गतिविधियों में लिप्त हैं। हम अमेरिकी पक्ष से तिब्बत से संबंधित मुद्दों की महत्वपूर्ण और संवेदनशील प्रकृति की पूरी समझ रखने, चीन के मूल हितों का सम्मान करने, दलाई लामा समूह की चीन विरोधी अलगाववादी प्रकृति की स्पष्ट समझ रखने तथा तिब्बत से संबंधित अपनी प्रतिबद्धता का पालन करने का आग्रह करते हैं। दलाई लामा के साथ किसी भी प्रकार के जुड़ाव को रोकें और बाहरी दुनिया को कोई गलत संकेत भेजना बंद करें। इसके साथ ही झाओ ने यह भी कहा कि, तिब्बत में सभी जातीय समूहों के लोगों धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता मिली है और अपनी जातीय भाषाओं का उपयोग करने और विकसित करने की स्वतंत्रता हैं। अन्य अधिकार और स्वतंत्रता भी पूरी तरह से सुरक्षित हैं।

तिब्बत को लेकर हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें यह कहा गया था कि, चीन यहां कि संस्कृति को पूरी तरह से खत्म कर चीनी संस्कृति को लागू करना चाहता है। चीन का तिब्बत में सांस्कृतिक-नरसंहार चल रहा है। तिब्बती संस्कृति पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) पूरे प्लान के साथ हमला कर रही है। चीन तिब्बत में शिक्षा-भाषा, धर्म और तिब्बती जीवन शैली को पूरी तरह से बदलना चाहता है। स्कूलों में तिब्बती भाषा को चीनी भाषा के साथ बदलने की बीजिंग की नीति ने तिब्बती समाज को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। साथ ही, बहुत छोटे तिब्बती बच्चों को जबरन चीनी बोर्डिंग स्कूलों में डालने के लिए चीन के नए अभियान का उद्देश्य चीनी कम्युनिस्ट प्रचार के साथ तिब्बतियों की एक पूरी पीढ़ी का ब्रेनवॉश करना है।