रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है। सीमावर्ती राज्यों पर रूस की सेना ने कब्जा कर लिया है और अब राजधानी कीव पर नजर डाले हुए है। इस महायुद्ध का फायदा चीन उठा रहा है। चीन ने ऐसी चाल चली है, जिससे रूस के राष्ट्रपति पुतिन भी नाराज नहीं हुए और बाइ़डेन को भी गुस्सा नहीं आया। दरअसल, यूक्रेन पर हमले के बाद से भारत ने तटस्थ रुख अपनाया हुआ है। इसकी वजह रूस से पुरानी दोस्ती और एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की सप्लाई है। लेकिन यूक्रेन से जंग के बीच रूस का समर्थन करने वाले चीन को असली फायदा मिलता दिख रहा है। जानकारों का मानना है कि चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव के विरोध में ही वोटिंग करने की तैयारी में था।
लेकिन अमेरिका की ओर से संपर्क साधा गया और फिर उसने विरोध में मतदान की बजाय गैरहाजिर रहने का फैसला किया। इस तरह उसने गैर-हाजिर रहकर एक तरफ रूस को साध लिया और दूसरी तरफ अमेरिका को भी हद से ज्यादा नाराज नहीं किया। यही नहीं रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों का भी चीन को ही फायदा मिला। चीन ने एक तरफ रूस से गेहूं के आयात को मंजूरी दे दी है तो वहीं उसकी कोशिश रूस के तेल और गैस रिजर्व तक पहुंच बनाने की है। अपनी इसी चाल पर चीन इतरा रहा है। पश्चिमी देशों की ओर से किसी पर बैन लगाए जाने का फायदा कैसे चीन को मिलता है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण ईरान है।
यह भी पढ़ें- पुतिन दबाएंगे न्यूक्लियर बटन? परमाणु हमले की ओर बढ़ रहा रूस!
बीते साल ही चीन ने ईरान के साथ 400 बिलियन डॉलर की डील की थी। इसके तहत चीन ने तय किया है कि वह उसके यहां जमकर निवेश करेगा और उसके बदले में तेल की निर्बाध सप्लाई जारी रहनी चाहिए। ईरान बीते कुछ सालों में चीन पर निर्भर होता दिखा है, लेकिन उसके पास कोई विकल्प भी नहीं है। यदि पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर ऐसे ही कड़े प्रतिबंध जारी रहे तो उसके पास भी कोई विकल्प नहीं होगा और चीन को सस्ता तेल और गैस मिलता रहेगा। यही उसका इस जंग से सबसे बड़ा फायदा है।