चीन की मुस्लिमों को लेकर क्या सोच है ये पूरी दुनिया सिर्फ जानती ही नहीं बल्कि देख भी रही है। चीन इस वक्त धार्मिक अल्पसंख्यकों को टार्गेट पर रखा हुआ है। खासकर उइगर मुस्लिमों को। उइगर मुस्लिमों को लेकर पूरी दुनिया जानती है चीन इनके साथ क्या करता है और कई बार ड्रैगन को इसपर लताड़ भी पड़ी है लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। अब एक बार फिर से दुविया के सामने चीन की काली करतूत का भंडाफोड़ हुआ है कि वो उइगर मुस्लिमों को कैंपों में बंद कर मजदूरी करवा रहा है। यूनाइटेड नेशन (UN) ने अपनी रिपोर्ट में चीन को लेकर कई बड़े खुलासे किए हैं।
दरअसल, चीन लगातार अपने उत्तर-पश्चिमी प्रांत शइनजियांग (Xinjiang) में उइगर मुस्लिमों (Uighurs Muslims) पर अत्याचार करना जारी रखे हुए है। उइगर मुस्लिमों के साथ भेदभावपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। जिसमें उनसे जबरन मजदूरी करवाना, असंभव उत्पादन की अपेक्षाएं और लंबे समय तक काम करना जारी रखना शामिल है। संयुक्त राष्ट्र की एक समिति ने इसकी जानकारी दी।
संयुक्त राष्ट्र ने चीन से कहा है कि वह अपनी रोजगार नियमों को वैश्विक मानकों के हिसाब से करे। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization) की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने 1964 के रोजगार नीति सम्मेलन के विभिन्न आर्टिकल्स का उल्लंघन किया है। चीन ने इसे 1997 में लगू किया था जिसमें, यह कहा गया है कि हर नागरिक को स्वतंत्र रूप से रोजगार चुनने का अधिकार है। इंटरनेशनल लेबर स्टैंडर्ड के टाइटल वाली 870 पेजों की रिपोर्ट विशेषज्ञों की समिति द्वारा किया गया मूल्यांकन है। ये कांगो से लेकर अफगानिस्तान तक विभिन्न देशों की लेबर स्टैंडर्ड में प्रगति को देखता है। इसमें बच्चों से मजदूरी, अवसर की समानता, मातृत्व संरक्षण, व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसे क्षेत्रों की जानकारी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, चीन शिनजियांग में उइगर और अन्य तुर्क और मुस्लिम अल्पसंख्यकों को जबरन मजदूरी करवा रहा है। इसके लिए व्यापक और व्यवस्थित रूप से कई प्रोग्राम चल रहे हैं। इसके अलावा बताया गया है कि, शिनजियांग में जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों की लगभग 1.3 करोड़ आबादी को उनकी जातीयता और धर्म के आधार पर टारगेट किया जाता है। हालांकि, चीन ने इसे गरीबी उन्मुलन, व्यावसायिक प्रशिक्षण, काम के जरिए शिक्षित रना और कट्टरता कम करने का नाम दिया है। इतना ही नहीं चीन ने इन फैसलों को सही भी ठहराया है। लेकिन असल में चीन द्वारा बताई जा रही है यह सब बातें छूठी हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया है कि, चीन के प्रोग्राम में इस इलाके में लगभग 18 लाख उइगर औऱ अन्य तुर्क या मुस्लिम लोगों को रि-एजुकेशन नाम के एक कैंप में कैद किया हुआ है। यहां पर इन लोगों से जमबर मजदूरी करवाई जाती है। शिनजियांग और देश के अन्य हिस्सों में बनी जेलों में इन लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है औऱ पिटाई की जाती है। इन कैंपों में काम करने वाले लोगों से कड़ी मेहनत करवाई जाती है। कहीं भी आने-जाने की आजादी नहीं है। कैंपों में बंद लोगों से आमतौर पर कपास की खेती करवाई जाती है और कपड़े बनवाए जाते हैं।