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कनवर्टेड कश्मीरी मुस्लिम मां-बाप के बेटे हैं Pak के नए PM शहबाज शरीफ, देखेंगे ‘The Kashmir Files’ पंडितों के Genocide पर मांगेंगे माफी?

Pak के नए PM शहबाज शरीफ, देखेंगे 'The Kashmir Files' पंडितों के Genocide पर मांगेंगे माफी!

पाकिस्तान के हालात न पहले सुधरे थे और न अब सुधर पाएंगे। जो लोग नहीं जानते हैं उनको जानकर आश्चर्य होगा कि पाकिस्तान में इमरान सरकार उखाड़ फेंकने में अमेरिका नहीं, चीन का बड़ा हाथ था। चीनी प्रशासन इमरान खान को उखाड़ फेंकने के पहले भी कई प्रयास कर चुका था। लेकिन उसे आखिरी बार कोशिश अप्रैल 2022 में मिली। इमरान खान को हटाए जाने के बाद चीन की पहली प्रतिक्रिया ग्लोबल टाइम्स से मिली है।

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चीन ने किया इमरान का तख्ता पलट!

चीन के सिंहुआ यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर क्वियान फेंग के हवाले से लिखा है कि, ‘चीन के संबंध पाकिस्तान के साथ अब और मजबूत होंगे। फेंग ने कहा कि सीपेक का रुका हुआ काम अब तेजी से शुरू होगा। इमरान खान के समय चीन-पाक के संबंधों जो शिथिलता आई थी वो अब खत्म हो जाएगी।’क्वियान फेंग के इस बयान को गंभीरता से देखने की जरूरत है। 2015 के आस-पास पाकिस्तान में सीपेक (चीन-पाक आर्थिक कॉरिडोर) परियोजना तत्तकालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ लेकर आए थे। 2018 में सत्ता परिवर्तन हुआ और इमरान खान अल्पमत में होने के बाद भी प्रधानमंत्री बने। इमरान खान ने सत्ता संभालते ही बयान दिया कि सीपेक परियोजना का रिव्यू किया जाएगा। सीपेक से जुड़े तमाम एग्रीमेंट को इमरान सरकार ने रोक दिया या चीन पर दबाव डाला कि वो सभी एग्रीमेंट उनकी शर्तों पर दुबारा किए जाएं।

इमरान खान ने दिए थे CPEC के रिव्यू आर्डर

इमरान खान ने चीन पर यह भी आरोप लगाया था कि सीपेक में व्यापक भ्रष्टाचार किया गया है। इस भ्रष्टाचार को चीन के अधिकारियों ने बढ़ावा दिया है। इमरान खान ने सीपेक की जिम्मेदारी ऐसे आर्मी जनरल असीम बाजवा को सौंपी थी, जिसका सारा बिजनैस अमेरिका में है और परिवार के अधिकांश सदस्यों के पास अमेरिकी नागरिकता है। चीन की खुफिया अधिकारियों ने बहुत महीन चाल चली और असीम बाजवा को सीपेक से बर्खास्त करवा दिया। चीन की समस्या का समाधान अब भी नहीं हुआ। चीनी प्रोजेक्ट्स पर लगातार हमले हो रहे थे और इमरान सरकार उन पर रोक लगाने में नाकाम थी। चीन के सामने एक ही रास्ता था कि पाकिस्तान के भीतर से इमरान खान के खिलाफ आवाज बुलंद की जाए और इमरान को सत्ता से बेदखल कर किया जाए।

रूस-यूक्रेन जंग भी रही एक कारण

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे महायुद्ध ने चीन को पाकिस्तान में अधिक सक्रिए होने पर विवश किया। इमरान खान को मास्को भेजकर चीन ने एक तीर से तीन निशाने लगाए। पहला, इमरान खिलाफ बगावत का सारा दोष अमेरिका पर मढ़ दिया। दूसरा, पाकिस्तान में सबसे बड़ी सियासी पार्टी को इमरान विरोधी आंदोलन का मुखिया बनवा दिया। मतलब यह कि एक बार फिर सत्ता परोक्ष ही सही नवाज शरीफ के हाथों में आ गयी। वही नवाज शरीफ जो पाकिस्तान में सीपेक लेकर आए थे, और तीसरा यह कि पॉलिटिकली कश्मीर मुद्दे पर भारत ज्यादा व्यस्त रहेगा। लद्दाख सीमा से भारत का ध्यान भंग होगा। तीसरा निशाना इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण है कि इमरान खान को बाजवा से सताए आर्मी अफसरों का (अधिकांश रिटायर्ड) का समर्थन हासिल है। इसके अलावा पाकिस्तानी फौज के मौजूदा अफसरों में से एक बड़ी नफरी बाजवा को कम और इमरान को ही ज्यादा सपोर्ट कर रही है। सत्ता जाने के बावजूद कुछ बड़े पाकिस्तानी फौजी अफसरों ने बनिगाला में खुफिया तौर पर इमरान से मुलाकात की तो कुछ ने फोन पर राब्ता कायम किया।

कश्मीर में हो रही पाकिस्तानी आतंकियों की घुसपैठ

इमरान खान के समर्थक रिटायर्ड और मौजूदा फौजी अफसर कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ करवाने लगे हैं। लोकल युवाओं की वेश-भूषा में मिलकर ये लोग आतंकी वारदातें करने लगे हैं। इमरान खान को सत्ता से बेदखल किए जाने के दूसरे दिन ही कश्मीर में हुई मुठभेड़ में मारे जाने वाले दोनों आतंकी पाकिस्तानी नागरिक हैं। यह इसका सबूत है। दूसरा सबूत यह कि जब पाकिस्तान में जैसे-जैसे इमरान की कुर्सी की डगमगा रही थी वैसे-वैसे एलओसी पार लॉंचिंग पैड पर आतंकियों की संख्या बढ़ रही थी। पाकिस्तानी कब्जे नीलम-झेलम के गुलाम इलाकों रिटायर्ड पाकिस्तानी फौजियों को बसाया गया है। कारण बताने की आवश्यकता नहीं है, सब समझते हैं कि ऐसा क्यों है। गुलाम कश्मीर के इन गांवों में कश्मीरी कम और पंजाबी-पठानियों के अलावा दीगर पाकिस्तानी कौम ज्यादा हैं।

भारत-पाक नरम रिश्ते नहीं चाहेगा चीन

पाकिस्तान में नया निजाम आने के बाद कश्मीर में आतंकी वारदातें बढ़ेंगी तो भारत के साथ पाकिस्तान के रिश्ते नरम होने के बजाए तल्ख ज्यादा होंगे। पाकिस्तान के नए निजाम को भारत के साथ रिश्तों में नरमी चाहिए मगर चीन ऐसा हरगिज नहीं चाहेगा। इमरान खान का समर्थक फौजी धड़ा कश्मीर में खेल करेगा, पाकिस्तानियों की फर्जी संवेदना और भावनाएं भड़काएगा और मजबूरी में नए निजाम यानी शहबाज शरीफ को कहना पड़ेगा कि ‘कश्मीर’ मसले का हल बगैर भारत से अमन-चैन की बात नहीं हो सकती। कुर्सी पर बैठने से पहले शहबाज शरीफ ने ऐसा बयान जारी कर भी दिया है।

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 नाच-कूद बंदर मरे, टूक कलंदर खाए

एशिया में चीन ने उस कलंदर का काम किया है जो मेहनत-मशक्क और कलाबाजियां बंदरों से करवाता है और तमाशबीनों से पैसा लूट कर खुद मलाई खाता है और पैर-पैर पर रखकर चैन से सोता है। एक कहावत है- नाच-कूद बंदर मरे, टूक कलंदर खाए। इमरान खान का काम-तमाम हो गया। अमेरिका बदनाम हो गया और पेशानी पर पसीना किसके- वो है भारत!मजे में कौन चीन!

आखिरी खास बात ‘शरीफ खानदान- पंजाबी बोलने वाला मूल कश्मीरी खानदान है।’सिंधी कही जाने वाली बेनजीर भुट्टो के शासन काल में कश्मीरियों का जो नरसंहार शुरू हुआ वो अनंतनाग-कश्मीरी मूल के नवाज शरीफ के शासनकाल में चरम पर था। पठान कोट एयरबेस पर हमला भी नवाज शरीफ के कार्यकाल हुआ। पाकिस्तान के नए पीएम शहबाज शरीफ भी कश्मीरी मूल के नवाज शरीफ के छोटे भाई ही हैं। चीन ने एशियाई सियासत की बिसात पर 'पाकिस्तानी मोहरा' यूं ही नहीं बदला है!