चीन में उद्योग धंधे इस समय अच्छी हालत में नहीं हैं। इसका कारण कोरोना महामारी से देसी विदेशी मांग में आई भारी कमी है। मांग की कमी का असर आपूर्ति और विनिर्माण पर भी पड़ा है। विनिर्माण में आई कमी के कारण कच्चे माल की मांग भी घटी है और श्रृंखलाबद्ध तरीके से इसका असर चीन की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल रहा है, हालांकि चीन अपने सरकारी आंकड़ों के ज़रिये अपनी अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र को बेहतर दिखाने की भरसक कोशिश कर रहा है।
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चीन में कच्चे इस्पात के उत्पादन में कमी आई है और ये कमी चीन की अर्थव्यवस्था पर असर डालने के लिये काफ़ी है। पिछले तीन वर्षों में हर वर्ष चीन में कच्चे इस्पात के उत्पादन में 21.2फीसदी की गिरावट आई है। इस समय चीन में कुल 24लाख 60हज़ार टन कच्चे इस्पात का उत्पादन हुआ है, ये कहना है चाइना आयरन एंड स्टील एसोसिएशन का, ये आंकड़े सितंबर महीने में सामने आए। सीआईएसए की उपाध्यक्ष छू सिउली ने ये जानकारी एक संवादाता सम्मेलन में कही।
हालांकि छू सिउली ने इसका कारण चीन का इस्पात उद्योग उत्पादन के साथ ऊर्जा की खपत पर लगाम लगा रहा है। साथ ही छू ने ये भी कहा कि इसका चीन के इस्पात उद्योग के लाभ पर कोई असर नहीं पड़ा है लेकिन सच्चाई तो ये है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के साथ साथ चीन के अंदर भी इस्पात की मांग में कमी आई है जिसके कारण कच्चे इस्पात के उत्पादन में कमी लानी पड़ी। इसका चीन की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर भी पड़ा है जिसे चीन दुनिया से छिपा रहा है।
छू ने अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम कंपनियों के समन्वित विकास को बढ़ाने के लिये औद्योगिक और आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिये और अधिक प्रयास करने की बात कही। साथ ही ये भी बताया कि हरित ऊर्जा की तरफ़ चीन के बढ़ते कदम के चलते भी वर्ष 2021में इस्पात उद्योग को अपने कच्चे इस्पात के उत्पादन में कमी लाना पड़ा। लेकिन ये बात दुनिया जानती है कि चीन के आधिकारिक बयानों और उसकी असलियत में बहुत अंतर होता है।
नैशनल ब्यूरो ऑफ़ स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों पर नज़र डालें तो सितंबर 2021में कच्चे इस्पात का उत्पादन 73.75मिलियन टन हुआ था जो वर्ष दर वर्ष 21.2फीसदी गिरावट का असर है, वहीं कच्चे लोहे का उत्पादन 69.19मिलियन टन था जिसमें वार्षिक 16.1फीसदी की गिरावट हो रही है, इस्पात का उत्पादन 101.95मिलियन टन था जिसमें वर्ष दर वर्ष 14.8फीसदी की गिरावट बरकरार है।
लांगे स्टील रिसर्च सेंटर के अनुसार अक्टूबर के महीने में कच्चे इस्पात के उत्पादन में चीन अभी और कमी करने वाला है जो 24लाख टन की सीमा पार नहीं करेगा। अगर चीन के लोहा इस्पात उत्पादन की रिपोर्ट देखें तो इसमें पहले भी ज्यादा बढ़ोतरी नहीं देखी गई थी।
सितंबर में दैनिक औसत कच्चे इस्पात का उत्पादन, कच्चा लोहा और इस्पात इन सभी ने नीचे गिरने का सूचकांक दिखाया, नैशनल ब्यूरो ऑफ़ स्टैटिस्टिक्स के सितंबर 2021के आंकड़ों के अनुसार कच्चे इस्पात का राष्ट्रीय दैनिक औसत उत्पादन 24लाख 58हज़ार टन था जिसमें पिछले महीने की तुलना में 8.5फीसदी की गिरावट देखी गई। कच्चे लोहे के दैनिक औसत उत्पादन में भी पिछले महीने की तुलना में 5.8फीसदी की कमी देखी गई जिसका उत्पादन 21लाख 73हज़ार टन था। वहीं इस्पात के दैनिक औसत उत्पादन में भी पिछले महीने की तुलना में 3.2फीसदी की कमी देखी गई, इसका उत्पादन 33लाख 98हज़ार टन था। ये सारे आंकड़े ये दिखाने के लिये काफ़ी हैं कि अब दुनिया के बाकी देशों ने चीन से नाता तोड़ना शुरु कर दिया है, वो अपनी औद्योगिक ज़रूरतों के लिये कच्चे माल पाने का रुख दूसरे देशों की ओर कर रहे हैं जिसके चलते चीन के बाज़ारों में सुस्ती दिखाई पड़ रही है। इन सब के चलते सितंबर 2021में चीन कच्चे इस्पात के उत्पादन में वर्ष 2019के बाद तीन वर्षों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।
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चीन में जब अक्टूबर के समय जब मांग ज़ोरों पर रहती है जिसे चीन में (यिन शी) यानी “सिल्वर टेन” कहते हैं तब विद्युत आपूर्ती में कटौती के चलते आपूर्ति श्रृंखला बुरी तरह से प्रभावित हुई, हालांकि इस बार इस्पात की मांग में भी वो तेज़ी नहीं देखी गई जो पहले के वर्षों में देखी जाती थी, इससे ये पता चलता है कि चीन में अब देसी स्तर पर भी स्टील की मांग में कमी देखी जा रही है, जानकार इसका असर एवरग्रांडे के दिवालियेपन से जोड़कर देख रहे हैं। इस बार सिल्वर टेन में चीन में इस्पात की मांग बहुत उतार चढ़ाव से भरी रही लेकिन नीति संबंधित उत्पादन का दबाव इस समय गंभीर स्थिति में है और इसका प्रभाव आने वाले समय में और स्पष्ट होगा।
लांगे स्टील नेटवर्क के सर्वेक्षण के अनुसार इस वर्ष अक्टूबर के पहले दो सप्ताह में पूरे चीन में 100मध्यम और छोटे ब्लास्ट फर्नेस 76फीसदी काम कर रहे थे जिसमें सितंबर के महीने की तुलना में 3.5फ़ीसदी अंकों की गिरावट देखी गई।
चाइना आयरन एंड स्टील एसोसिएशन याननी सीआईएसए के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर 2021में औसत दैनिक कच्चे इस्पात के उत्पादन में वर्ष दर वर्ष आधार पर 13.69फीसदी की गिरावट देखी गई है। जबकि चीन में अक्टूबर में इस्पात की मांग अपने चरम पर रहती है, चीन में बिजली के संकट के कारण ये कमी देखी जा रही है लेकिन सुस्त होती औद्योगिक रफ़्तार भी इसका कारण हैं जिसे चीन दुनिया से छिपा रहा है।
लांगे स्टील रिसर्च सेंटर के अनुसार, इस वर्ष अक्टूबर में चीन में इस्पात की मांग 24 लाख टन कम रहेगी जिसका असर मध्यम और छोटे इस्पात उत्पादकों को भी देखने को मिलेगा जहां पर 19 लाख टन की कमी आएगी, चीन में इन दिनों बिजली उत्पादन की कमी है और इससे भी उत्पादन पर विपरीत असर पड़ा है। इसका असर तैयार उत्पादन की बढ़ी कीमतों के रूप में देखने को मिलेगा। कुल मिलाकर इस वर्ष चीन के इस्पात उत्पादन के सामान्य वर्षों से बहुत कम रहने का अंदेशा है।