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चीन को दुत्कार भारत से प्यार! अमेरिका बोला-LAC पर ड्रैगन ने उठाए उकसावे वाले कदम

बीजिंग द्वारा एलएसी पर उकसाने वाले कदम उठाए गए

चीन (China) वो देश है जिसने पूरी दुनिया के नाक में दम कर रखा है। जो देश इससे सीमा साझा करते हैं वो तो परेशान ही रहते हैं लेकिन, जो नहीं करते वो भी ड्रैगन की हरकतों से परेशान रहते हैं। अमेरिका ने एक बार फिर से चीन को LAC विवाद  पर फटकार लगाई है। दरअसल, भारत के साथ चीन का सीमा विवाद साल 2020 से ही चल रहा है। वर्ष 2020 में चीन के सैनिक गलवान घाटी में भरतीय सीमा में जबरन घुस आये। इसके बाद खूनी संघर्ष में चीन के 40 सैनिक मारे गये और भारत के 20 जवान शहीद हुए। इसके बाद ड्रैगन बौखला उठा और बॉर्डर पर आये दिन मनोवैज्ञानिकी दबाव बनाता रहा। इसके बाद साल 2022 के अंत में चीन ने फिर से नापाक हरकत करते हुए भारत के अरुणाचल प्रदेश के तवांग में घुस आया। जिसमें भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए चीनी सैनिकों को वापस भगा दिया। दोनों बार चीन को मुंह की खानी पड़ी। अब इस मामले को लेकर व्हाइट हाउस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

व्हाइट हाउस (White House) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि भारत-चीन सीमा पर बीजिंग द्वारा उठाए गए कुछ कदम उकसाने वाले हैं। उन्होंने दोहराया कि अमेरिका नई दिल्ली के साथ और अधिक निकटता से काम करने के लिए तैयार है। वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक- सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत-चीन सीमा पर घुसपैठ और झड़पें लगातार हो रही हैं और इससे चौतरफा संघर्ष होने का खतरा है। व्हाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी कर्ट कैंपबेल ने कहा, “हम भारत के साथ अपने संबंधों को प्रोत्साहित करना चाहते हैं और इसका समर्थन करना चाहते हैं और इस संबंध को गहरा करना चाहते हैं, जो पहले से ही बहुत मजबूत है।

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भारत ने जताई थी चिंता

एलएसी पर चीन के साथ संघर्ष को लेकर भारत कई बार चिंता जता चुका है। विदेश एस जयशंकर से लेकर सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे भी कई बार कह चुके हैं कि एलएसी पर भारत और चीन के संबंध बेहद नाजुक हैं। अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अधिकारियों का मानना ​​​​है कि चीन भारत को पाकिस्तान के साथ अपनी पश्चिमी सीमा और चीन के साथ पूर्वी सीमा दोनों की रक्षा करने के लिए और अधिक संसाधनों को मोड़ने के लिए मजबूर कर रहा है और इस क्षेत्र पर हावी होने की चीनी महत्वाकांक्षाओं को चुनौती देने की अपनी इच्छा और क्षमता को कमजोर कर रहा है।

चीन के कदम उकसाने वाले

कैंपबेल ने थिंक-टैंक से कहा, चीन ने 5,000 मील की इस विशाल सीमा के साथ जो कुछ कदम उठाए हैं, वे भारतीय भागीदारों और दोस्तों के लिए उत्तेजक और गहराई से चिंतित थे। लिसा कर्टिस और डेरेक ग्रॉसमैन द्वारा लिखित थिंक टैंक की रिपोर्ट ने भारत के साथ सीमा पर चीनी आक्रमण को रोकने और प्रतिक्रिया देने में मदद करने के लिए कई सिफारिशें की हैं। रिपोर्ट में थिंक टैंक ने संयुक्त राज्य अमेरिका को भारत-प्रशांत में अन्य अमेरिकी सहयोगियों और भागीदारों के खिलाफ बीजिंग की मुखरता के साथ चीन के साथ भारतीय क्षेत्रीय विवादों को उठाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह सभी राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी दस्तावेजों और भाषणों में परिलक्षित हो।

पाकिस्तान को भी संदेश

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका पाकिस्तान को संदेश दें और भविष्य में भारत-चीन सीमा भड़कने की स्थिति में तटस्थ रहे। साथ ही अन्य महत्वपूर्ण भागीदारों से मदद लें। कैंपबेल ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंध 21वीं सदी में संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंध है। उन्होंने कहा, मेरा मानना ​​​​है कि हम एक साथ और अधिक निकटता से काम करने के लिए नियत हैं। मेरा मानना ​​है कि हमारे संबंध मजबूत हैं।