फलस्तीनियों को लेकर पाकिस्तान और तुर्की हमेसा से ही इजराइल के खिलाफ रहे हैं। जब इजराइल और फलस्तीन के भी जंग छिड़ा था उस दौरान पाकिस्तान और तुर्की ने अपने-अपने तरीके से जमकर इजराइल के खिलाफ जाने की कोशिश की। दुनिया के सामने दोनों देश इजराइल को घेरने की पूरजोर कोशिश। लेकिन अब जो इजराइल ने कदम उठाया है उसे लेकर ना तो कभी तुर्की ने सोचा होगा और ना ही पाकिस्तान ने। दरअसल, अब फलस्तीनियों के सीने पर इजराइली आईकार्ड सजेगा और ये कदम दोनों देशों के लिए किसी बड़े धक्के से कम नहीं है।
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ये वही पाकिस्तान है तो दुनिया के सामने दो मुद्दाओं पर कभी बोलना नहीं भूलता। एक कश्मीर मुद्दा जिसकी वजह से पाकिस्तान अपने आप को जिंदा रखने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान में आवाम की हालत खस्ता क्यों न हो, महंगाई क्यों न बढ़ जाए या फिर कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि पाकिस्तान में कितना भी बड़ा आकाल आ जाए लेकिन वह कश्मीर मुद्दे को नहीं भूल सकता। ये पाकिस्तान भी अच्छे से पता है कि वह कभी भी कश्मीर को भारत से अलग नहीं कर पाएगे लेकिन वो खुद को दुनिया के सामने अपने आप को जिंदा रखने के लिए कश्मीर का राग अलापता है। कश्मीर के अलावा पाकिस्तान दुनिया के सामने खुद को जिंदा रखने के लिए फलस्तीनियों का भी हमदर्द बनता फिरता है। ऐसे में इजराइल ने जो कदम उठाया है फलस्तीनियों को पहचान देने का उससे पाकिस्तान के सीने में किसी खंजर घोंपने से कम नहीं है।
इजराइल ने 9,500 फलस्तीनियों को पहचान पत्र जारी करने की घोषणा की है। व्यापरा के मकसद से 500 लोगों को कार परमिट भी जारी होगा। इस्राएल के रक्षा मंत्री बेनी गांत्स ने फलस्तीन के शीर्ष नेता महमूद अब्बास के साथ मुलाकात की जिसमें यह दोनों के बीच में यह कदम उठाने का फैसला लिया गया। इजराइल रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि इस बैठक में नागरिक सुरक्षा से जुड़े कई मामलों पर बातचीत हुई है। हाल के सालों में यह एक विरला मौका है, जहां इस्राएल और फलस्तीनियों के बीच इतनी उच्च स्तरीय बैठक हुई हो। फलस्तीनियों को पहचान पत्र इस्राएली मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, गांत्स ने तेल अवीव इलाके में स्थित अपने घर पर अब्बास की अगवानी की।
इससे पहले दोनों नेताओं के बीच अगस्त 2021 में मुलाकात हुई थी। जिसमें गांत्स ने अब्बाज को आर्थिक और नागरिक मामलों में भरोसा कायम करने वाले तरीकों पर और आगे बढ़ने के अपना इरादे के बारे में बताया था। इस बातचीत के बाद, गांत्स ने वेस्ट बैंक में मौजूद 6,000 और गाजा पट्टी के 3,50 फलस्तीनियों की पहचान को मानवीय आधार पर पहचान पत्र देने का फैसला किया। इस्राएल की ओर से रोका गया करीब 239 करोड़ रुपये का टैक्स भी फलस्तीनी प्रशासन के सुपुर्द किया जाएगा। इसके अलावा, 500 लोगों को व्यापार के मकसद से इस्राएल में कार ले जाने की अनुमति दी जाएगी। सन 1967 से वेस्ट बैंक पर इस्राएल का कब्जा है। कुछ ही महीने पहले अक्टूबर में इस्राएल ने वेस्ट बैंक में रहने वाले 4,000 फलस्तीनियों को पहचान पत्र जारी करने की घोषणा की थी, जिसकी मदद से वे चेक नाकों से बेरोक टोक आ जा सकें।
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बता दें कि, आधिकारिक पंजीकऱण का यह अभियान बरसों से बंद पड़ा था। लेकिन अब ऐसा लगता है कि इस युद्ध के बाद दोनों देशों ने यह समझ लिया है कि जंग से किसी का फायदा नहीं बल्कि नुकसान ही है। इजरायल का यह कदम पूरी दुनिया के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है। क्योंकि, इस बीच जहां कई देशों में जंग के हालात बने हुए हैं वहीं, इजरायल ने अपने प्रतिद्वंदी से ही हाथ मिलाकर यह संदेश देने का कोशिश किया है कि असली ताकत दुश्मनी नहीं बल्कि दोस्ती में है।