आतंकवादी चाहे वो कश्मीर के हों या फिर फिलिस्तीन के या फिर अफगानिस्तान के, सबको ट्रेनिंग पाकिस्तान में ही मिलती है। कश्मीरी और अफगानिस्तान के तालिबानी आतंकियों को ट्रेनिंग की बात तो जग जाहिर पहले से ही थी। अब फिलिस्तीनी आतंकियों को ट्रेनिंग की बात पाकिस्तानी नेता ने खुद कबूली है और उसके सबूत भी दिए हैं। ध्यान रहे ये पाकिस्तानी नेता ग्रीस में पाकिस्तान के राजदूत भी रह चुके हैं।
पाकिस्तानी सेना गाजा पट्टी में सक्रिय हमास के आतंकियों को मिलिट्री ट्रेनिंग दे रही है। इस बात का खुलासा पाकिस्तान के वरिष्ठ नेता और पूर्व राजनयिक राजा जफर उल हक ने खुद किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना बहुत पहले से ही हमास के लड़ाकों को ट्रेनिंग दे रही है, जो अब भी जारी है। इतना ही नहीं, कहा तो यहां भी जा रहा है कि पाकिस्तानी सेना की स्पेशल कमांडो यूनिट एसएसजी की एक बटालियन गाजा में कई साल पहले से ही तैनात है।
राजा जफर उल हक ने कहा कि जब मैं ट्यूनिशिया गया तो वहां अबू जिहाद (खलीद अल वजीर) उस समय जिंदा थे। मुझे उनसे मिलवाया गया। उन्होंने कहा कि जब कभी इजरायल के साथ लड़ाई होती है जंग होती है या झड़पें होती है तो सबसे ज्यादा लड़ने वाले वो होते हैं जिन्होंने पाकिस्तान के अंदर मिलिट्री ट्रेनिंग ली होती हैं। यहां पर उनकी मिलिट्री ट्रेनिंग हुई, होती रही है और अब भी हो रही है। अबू जिहाद गाजा में सक्रिय फतह पार्टी के सहसंस्थापक थे।
हमास और पाकिस्तान के बीच संबंधों का खुलासा करने वाले राजा जफर उल हक पाकिस्तानी सांसद हैं। वे अगस्त 2018 से मार्च 2021 तक पाकिस्तानी संसद में विपक्ष के नेता थे। इतना ही नहीं, वह जिया-उल-हक के कार्यकाल में मिस्र के राजदूत भी रह चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने 1997 से 1999 तक पाकिस्तान के धार्मिक मंत्रालयों का कार्यभार भी संभाला है। ऐसे बड़े नेता का हमास को लेकर किया गया दावा पाकिस्तान के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।
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पाकिस्तान ने आजतक इजरायल को एक देश के रूप में मान्यता नहीं दी है। इसका प्रमुख कारण धर्म है। तब के अरब देशों के देखा देखी पाकिस्तान ने भी धर्म को आधार बनाकर इजरायल को मान्यता देने से इनकार कर दिया था। यही कारण है कि कोई भी पाकिस्तानी अपने पासपोर्ट पर इजरायल की यात्रा नहीं कर सकता है। इतना ही नहीं, पाकिस्तानी पासपोर्ट पर भी लिखा होता है कि यह दस्तावेज इजरायल को छोड़कर पूरी दुनिया में इस्तेमाल के लिए वैध है।
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मई के शुरुआती हफ्तों में इजरायल के साथ हमास की झड़पों को लेकर पाकिस्तान में खासा गुस्सा देखने को मिला था। वहां के राजनेता और धार्मिक पार्टियां ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में आम लोगों ने भी इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इमरान खान की कैबिनेट ने एक मीटिंग में फिलिस्तीन को मदद देने का फैसला भी किया था। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इजरायल के खिलाफ गोलबंदी करने के लिए तुर्की का दौरा भी किया था।