'ये है कर्ज लेने का नतीजा! चीन ने पाकिस्तान की संप्रभुता को दरकिनार करते हुए खैबर पख्तूनख्वाह में हुए बस बम ब्लास्ट की जांच खुद करने का ऐलान किया है। इस धमाके में 10 चीनी नागरिक और पांच पाकिस्तानी मारे गए थे। ये लोग एक बस में सवार होकर दासू हाईड्रो पॉवर प्रोजेक्ट जा रहे थे।'
आज ही की खबर है कि चीन ने अपने पालतू नॉर्थ कोरिया को मुसीबत के वक्त अकेला छोड़ दिया है। अब वही हालत पाकिस्तान की करने वाला है। खैबर पख्तूनख्वाह में दासू हाईड्रो पॉवर प्रोजेक्ट साइट पर जा रहे चीनी इंजीनियर्स और कर्मचारियों भरी बस को बम से उड़ाने की घटना से चीन ने पाकिस्तान को आइसोलेट करने की शुरूआत कर दी है। चीन ने जाहिर कर दिया है कि पाकिस्तानी सरकार, खासतौर पर पीएम इमरान खान भरोसे के काबिल नहीं है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने सख्त लहजे में कहा है कि चीन की एजेंसी खैबर पख्तूनख्वाह में हुए हादसे की जांच खुद करेगी।
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खैबर पख्तूनख्वाह में चीनी इंजीनियरों से भरी बस को बम से उड़ा दिया गया था। इस हादस में 10 चीनी इंजीनियर दो पाकिस्तानी फौजी और तीन अन्य मारे गए थे। पाकिस्तान सरकार ने बस बम धमाके को सड़क दुर्घटना करार दिया था। पाकिस्तान सरकार खास तौर पर पीएम इमरान खान को मालूम था कि अगर बम धमाके की बात खुल गई तो चीन सख्त कदम उठा सकता है। क्यों कि कुछ दिन पहले ही बलूच आर्मी ने चीन की एक फैक्ट्री को आग के हवाले कर 6 चीनी कर्मचारियों को अगवा कर लिया था। इन अगवा किए गए चीनी नागरिकों की रिहाई के लिए खुद पीएम इमरान खान को ग्वादर जाना पड़ा था।
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खैबर पख्तूनख्वाह के इस हादसे को छुपाने पर भी चीन ने सख्ती दिखाई थी। इंटरनेशनल मीडिया ने अपने सोर्सेज के हवाले से बस बम धमाके की जानकारी दी थी लेकिन खैबर पख्तूनख्वाह की सरकार औऱ पाकिस्तान की फेडरल सरकार इस हादसे को छुपाने की कोशिश ही करते रहे। जब चीनी प्रवक्ता ने पाकिस्तान की मजामत करते हुए बस बम धमाके में 10 चीनी इंजीनियर्स के मारे जाने की जानकारी दुनिया को दी तब जाकर पाकिस्तान सरकार ने बस को बम धमाके से उड़ाए जाने की बात कबूल की।
पाकिस्तान के इस रवैये को देखते हुए चीन ने ऐलान किया कि इस बम धमाके की जांच में शामिल होगा। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने गुरुवार को यह जानकारी दी। पाकिस्तान में बम धमाके की जांच चीन की एजेंसियों से कराया जाना, पाकिस्तान की सम्प्रभुता को सीधी चुनौती है। ऐसा समझा जा रहा है कि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन के ऐलान से पहले बीजिंग ने इस्लामाबाद से इस बारे में कोई बातचीत भी नहीं की है। खास बात यह है कि पाकिस्तान की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया भी नहीं आई है।