देश में जारी कोरोना वायरस की दूसरी लहर बेकाबू है, हालात दिन ब दिन बिगड़ते जा रहे हैं। रोजाना साढ़े 3 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं। मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हर दिन डरावना होता जा रहा कोविड-19 को लेकर एक और खतरा है, वह यह कि दूसरी लहर की संक्रमण में बच्चों में संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। दूसरी लहर में बड़ी संख्या में बच्चे तेजी से संक्रमित हो रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहली बार बच्चों को लिए कोविड-19 की अलग गाइडलाइन्स जारी की है।
बच्चों में कोरोना संक्रमण है लेकिन इसके लक्षण नहीं दिख रहे, ऐसे में बच्चों के लिए किसी तरह से इलाज का सुझाव नहीं दिया गया है। लेकिन, उनमें संभावित लक्षणों पर नजर रखने की बात जरूर कही गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से दो डॉक्यूमेंट जारी किए गए हैं जिसमें से एक है बच्चों को होम आइसोलेशन में रखने के लिए रिवाइज्ड गाइडलाइन्स और पीडिएट्रिक एज ग्रुप यानी बच्चों के इलाज के लिए मैनेजमेंट प्रोटोकॉल।
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Protocol for Management of #COVID19 in Paediatric Age Group
👩👦Children with moderate #COVID disease may be suffering from pneumonia which may not be clinically apparent
Read @MoHFW_INDIA's guidelines https://t.co/0LbQOsiyhR @MinistryWCD pic.twitter.com/vbdmID3bQg
— PIB in Maharashtra 🇮🇳 (@PIBMumbai) April 29, 2021
माइल्ड इंफेक्शन के लिए गाइडलाइन्स
अगर बच्चे में इंफेक्शन के माइल्ड लक्षण हैं, जैसे- गले में खराश या गले में दर्द और कफ है लेकिन सांस से जुड़ी कोई समस्या नहीं है तो
बच्चे को होम आइसोलेशन में रखें (Home isolation)
अधिक पानी पिलाएं ताकी शरीर में पानी की कमी न हो, लिक्विड चीजें दें
बुखार आता है तो 10-15mg पैरासिटामोल दे
खतरनाक लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर्स से संपर्क करें
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मॉडरेट यानी मध्यम श्रेणी का इंफेक्शन होने पर
जिन बच्चों का ऑक्सीजन लेवल कम है लेकिन बच्चे में निमोनिया के लक्षण नहीं हैं। वो बच्चे इस श्रेणी में शामिल हैं
मध्यम लक्षण वाले बच्चों को कोविड हेल्थ सेंटर में एडमिट किया जा सकता है
बच्चों को तरल चीजें ज्यादा दें ताकि डिहाइड्रेशन न हो। साथ ही ओवरहाइड्रेशन ना हो इसका भी ध्यान दें
बुखार में पैरासिटामोल और अगर बैक्टीरियल इंफेक्शन हो तो एमोक्सिसिलिन दे सकते हैं
अगर बच्चे के शरीर में ऑक्सीजन सैचुरेशन 94% से कम हो तो बच्चे को ऑक्सीजन दी जानी चाहिए
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इंफेक्शन गंभीर होने पर
इसमें बच्चों में गंभीर निमोनिया (Pneumonia), रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS), मल्टी ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम (MODS) और सेप्टिक शॉक जैसे गंभीर लक्षण दिखाई दे सकते हैं
ऐसे में बच्चों को तुरंत आईसीयू या एचडीयू में भर्ती करने की सलाह दी गई है
गाइडलाइन में इन बच्चों का कंप्लीट ब्लड काउंट, लिवर, रीनल फंक्शन टेस्ट और चेस्ट एक्स रे कराने की सलाह दी गई है।