रूमी जाफरी डायरेक्टेड 'चेहरे' फिल्म रिलीज हो चुकी हैं। फिल्म में अमिताभ बच्चन, इमरान हाशमी, क्रिस्टल डिसूजा और रिया चक्रवर्ती लीड रोल में हैं। अमिताभ बच्चन, अन्नू कपूर, रघुबीर यादव और धृतिमान चैटर्जी जैसे दिग्गज एक्टर्स ने बेहतरीन एक्टिंग की हैं। वहीं इमरान हाशमी, जिन्होंने समीर मेहरा नाम के ऐड फिल्म कंपनी के कर्ता-धर्ता का किरदार निभाया हैं। उनके किरदार इर्द-गिर्द ही फिल्म की कहानी घूमती है।
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फिल्म की कहानी-
फिल्म में मनाली की भीषण बर्फबारी में दिल्ली जाने के लिए निकला एक एड एजेंसी का सीईओ समीर मेहरा (इमरान हाशमी) बीच में ही फंस जाता है। रास्ते में गिरा पेड़ जहां मुश्किलों को बढ़ाता हैं, वहीं कार का खराब होना भी एक नई समस्या बन जाती हैं। अचानक उसकी मुलाकात परमजीत सिंह भुल्लर (अन्नू कपूर) से होती है, जो उससे कहता है कि मौसम साफ होने तक वह उसके सीनियर सिटीजन दोस्तों के साथ समय बिता सकता है। दोनों रिटायर्ड जज जगदीश आचार्य (धृतिमान चटर्जी) के घर पहुंचते हैं।
यहां उनकी मुलाकात क्रिमिनल लॉयर के रूप में रिटायर हुए तलीफ जैदी (अमिताभ बच्चन) और जल्लाद रहे हरिया जाटव (रघुवीर यादव) से होती हैं। इस दौरान समीर मेहरा से पूछा जाता है कि क्या उसने कभी कोई अपराध किया है। समीर इंकार करता है कि कभी नहीं, गलत काम तक नहीं। इसके बाद बताता है कि कुछ समय पहले उसके पूर्व बॉस ओसवाल (समीर सोनी) की मौत हो गई। वो खड़ूस टाइप आदमी था। उसकी जगह ही कंपनी में समीर को प्रमोट किया गया है।
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इसको लेकर लतीफ जैदी कहते हैं कि ठीक है, मान लेते हैं कि मेहरा ने ओसवाल का कत्ल किया है। केस चलाया जाए। फिल्म में अब यह केस कैसे बढ़ेगा और किन तर्कों के आधार पर फैसला होगा कि इसके लिए फिल्म देखनी होगी। 'चेहरे' में ड्रामे का हिस्सा कम है, ज्यादातक बातचीतती है। जब मेहरा के पक्ष-विपक्ष में अदालती खेल की जिस तरह शुरू होती है और कुछ बातें खुलती हैं तो रोमांच बढ़ता है। लेकिन में फिल्म न्याय व्यवस्था को लेकर अपनी राय जाहिर करते हुए पूरी तरह अमिताभ बच्चन के हाथों में आ जाती है, जहां वो 10-12 मिनट लंबा संवाद अकेले बोलते हुए भावनाओं को जगाने की कोशिश करते हैं।