कोरोना का कहर अभी थमा नहीं हैं। एक तरफ जहां कोरोना लोगों के लिए जान का दुश्मन बना बैठा हैं तो वहीं डेल्टा वेरिएंट डर का माहौल पैदा कर रहा हैं। मरीजों की लगातार संख्या बढ़ रही हैं। नतीजे कई शहरों में ऑक्सीजन और बेड की कमी। ये भारत का हाल नहीं बल्कि अमेरिका जैसे विकासशील देश का मामला हैं, जहां ऑक्सीजन की सप्लाई थम गई हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, हॉस्पिटल सप्लाई पर्चेजिंग ग्रुप प्रीमियर इंक का कहना है कि स्थिति तेजी से बिगड़ती जा रही है। कई अस्पतालों के पास केवल 12 से 24 घंटों की ही ऑक्सीजन बची है।
इन सभी परेशानियों को लेकर व्हाइट हाउस, फेडरल इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी और स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दी गई। इस जानकारी को लेकर प्रीमियर इंक के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट ब्लेयर चाइल्ड्स ने बताया कि ऑक्सीजन की मांग पहले इतनी कभी नहीं रही। डिमांड तेजी से बढ़ रही है और सप्लाई बेहद कम है। इस वजह से हालात खराब हो गए हैं। खासतौर पर फ्लोरिडा, मिसिसिपी, जॉर्जिया, उत्तरी कैरोलिना, दक्षिण कैरोलिना और वेस्ट वर्जीनिया के अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी है। उन्हें अपने रिजर्व से ऑक्सीजन का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, क्योंकि यही एक ऑप्शन हैं।
कोरोना मरीजों फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिसकी वजह से मरीज को ऑक्सीजन दी जाती है, ताकि वो सांस लेता रहे। लेकिन जिस रफ्तार से अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म हो रही है, उस रफ्तार से सप्लाई नही हो पा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर जल्द कुछ नहीं किया गया, तो आने वाले समय में स्थिति और भी ज्यादा भयंरकर हो सकती है। कोरोना काल में अब तूफान 'इडा' का खतरा भी सरकार के लिए चुनौती बन गया हैं। जिसके चलते लुइसियाना चिल्ड्रन मेडिकल सेंटर मरीजों को जल्द से जल्द अस्पताल से डिस्चार्ज करने की तैयारी कर रहा है।