Hindi News

indianarrative

मैगी खाते हैं तो पहले पढ़ लें यह खबर, नेस्ले के तमाम प्रोडक्टस सेहत पर डालते हैं बुरा असर- रिपोर्ट

मैगी खाने वाले हो जाए सावधान!

भारत में मैगी नूडल्स, किटकैट्स और नेसकैफे जैसे घरेलू उत्पादों को बेचने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी नेस्ले के प्रोडक्ट्स एक बार पिर संदेह के घेरे में है। एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें कहा गया है कि, इस कंपनी द्वारा उत्पादित करीब 60 फीसदी खाद्य एवं पेय पदार्थ लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसमें पेट फूट, बेबी फॉर्मूला और कॉफी भी शामिल है. कंपनी के मुताबिक वह अपने प्रोडक्ट्स में न्यूट्रिशन वैल्यू की जांच कर रही है। उत्पादों की जांच के बाद उसे बनाने का तरीका बदलेंगे। प्रोडक्ट को टेस्टी और सेहतमंद बनाने का प्रायस किया जा रहा है।

यह भी पढ़े- राजस्थान में हजारों कोरोना वैक्सीन की बर्बादी में मिलीभगत

देखिए मैगी का क्या हाल

पूरी दुनिया में नेल्ले के उत्‍पाद काफी पापुलर हैं। इनमें सबसे ऊपर मैगी का नाम आता है। इसके बाद कॉफी Nescafe है। कंपनी की इंटरनल रिपोर्ट के मुताबिक 60 फीसदी फूड प्रोडक्ट सेहतमंद की श्रेणी में नहीं आते। कंपनी ने कहा कि कुछ प्रोडक्ट ऐसे भी हैं, जो सेहत के लिए नुकसानदायक थे। लेकिन जब उनमें सुधार किया गया तो वे और खराब हो गए।

ब्रिटेन से प्रकाशित होने वाला समाचार पत्र फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, 2021 की शुरुआत में ही टॉप एक्जिक्यूटिव्स के सामने पेश एक प्रेजेंटेशन में कहा गया है कि नेस्ले के उत्पादों में करीब 37 फीसदी प्रोडक्ट (पेट फूड और मेडिकल न्यूट्रिशन को छोड़कर) को ऑस्ट्रेलिया के हेल्थ स्टार की ओर से 3.5 स्टार की रेटिंग दी गई है. इस रेटिंग में 3.5 स्टार मिलने का अर्थ यह है कि कंपनी यह मानती है कि उसके प्रोडक्ट्स स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। इस रैंकिंग में 5 स्टार बेंचमार्क है।

कितना फेल कितना पास

नेस्ले के फूड एंड ड्रिंक्स पोर्टफोलियो में 70 फीसदी उत्‍पाद मानकों पर फेल रहे। जबकि प्योर कॉफी को छोड़ 90 फीसदी बेवरेजेज फेल रहे। वाटर और डेयरी प्रॉडक्ट्स में 82 फीसदी और 60 फीसदी मानकों पर खरे उतरे।

बताते चलें कि पहले भी नेस्ले इंडिया की मैगी को लेकर बवाल हुआ है। कंपनी ने कोर्ट में माना था कि मैगी नूडल्स में लेड (सीस) की मात्रा थी। शीर्ष अदालत ने पूर्व में राष्ट्रीय उपभोक्ता वाद निवारण आयोग (NCDRC) में चल रहे इस मामले में कार्यवाही पर 16 दिसंबर 2015 को तब रोक लगा दी थी, जब नेस्ले ने इसे चुनौती दी थी। उसी साल भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने नमूनों में सीसे का अत्यधिक स्तर पाए जाने के बाद मैगी नूडल्स पर रोक लगा दी थी और इसे मानव उपयोग के लिए असुरक्षित और खतरनाक बताया था।