वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज लोकसभा में बजट पेश करने जा रही हैं। यह निर्मला सीतारमण का चौथा बजट होगा। देश महामारी की तीसरी लहर से जूझ रहा है। इस कारण सभी इस बजट से काफी उम्मीद लगाए बैठे हैं। वहीं दूसरे देश में बजट पर नजरें गढ़ाए बैठे है।
खासकर चीन और पाकिस्तान… चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ता गठजोड़ भारत के लिए खतरे का संकेत है। चीन एक तरफ भारतीय सीमा पर अपनी सेना बढ़ाता जा रहा है, तो दूसरी तरफ पाकिस्तान को भी बड़ी मात्रा में हथियार दे रहा है। इस तरह भारतीय सेना को एक साथ दो मोर्चों पर लड़ना पड़ रहा है।
ऐसे में आज रक्षा बजट में काफी बढ़ोतरी देखी जा सकती है। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर और पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्यों में आतंक को बढ़ावा देकर भारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिशों में लगा हुआ है। चीन भी भारत को चारों तरफ से घेरने की कोशिश कर रहा है। पिछले साल चीन का डिफेंस बजट 209 अरब डॉलर का था जो भारत से चार गुना अधिक है। ऐसे में भारतीय सेना को दोनों मोर्चों पर दुश्मनों का मुकाबला करने के लिए सेना का भारीभरकम बजट की जरूरत है। सेना के तीनों अंगों की ज्यादातर मशीनरी पुरानी पड़ चुकी हैं। नए हथियारों की खरीद फरोख्त के लिए सेना को बड़े बजट की जरूरत है।
भारत अपनी कुल जीडीपी का करीब दो फीसदी हिस्सा डिफेंस पर खर्च करता है। वित्त वर्ष 2021-22 में उसका रक्षा बजट तीसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट था। लेकिन सेना को मॉडर्नाइजेशन की जरूरत है। आज भारत में 68 फीसदी उपकरण पुराने हैं, 24 फीसदी आधुनिक हैं और केवल आठ फीसदी आधुनिक हैं। इससे समझा जा सकता है कि भारतीय के रक्षा बजट में बढ़ोतरी की बेहद जरूरत है। पिछले साल सरकार ने रक्षा बजट 4.78 लाख करोड़ रुपये का रखा था। इससे पहले साल 2020-2021 में यह बजट 4.71 लाख करोड़ रुपये का था। देश के रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा सैनिकों की पेंशन और वेतन में ही चला जाता है। इसके बाद बची रकम से सेना की सभी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं।